मध्यप्रदेश

लिकर माफिया सोम के विवादित टैंकों के मामले में लीपापोती की तैयारी

भोपाल। मध्यप्रदेश के बेहद विवादित शराब निर्माता समूह सोम डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड के बिना अनुमति बनाए गए स्प्रिट टैंकों के मामले में आबकारी विभाग ने लीपापोती का इंतजाम कर दिया है। जिस मामले में सोम डिस्टलरी साफ-साफ दोषी सिद्ध हो रही हैं, वहां आबकारी विभाग उसके किए काले को सफेद करने की तैयारी कर रहा है। विवादित टैंकों के मामले में आबकारी अफसरों की एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर सोम की अनियमितताओं पर पर्दा डालने का इंतजाम कर दिया गया है। हालांकि इस मामले में यदि सरकार निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहे तो सीधा डिस्टलरी का लायसेंस ही रद्द कर सकती है।

मामला सोम के उन 19 टैंकों से जुड़ा हुआ है, जो सेहतगंज में स्थित सोम डिस्टलरी के कैंपस में असुरक्षित तरीके से संचालित किये जा रहे थे। ये टैंक नियमों की अवहेलना कर बनाये गए थे। जिनके आसपास सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं मिले। इसके चलते आबकारी विभाग ने इसी साल 22 जनवरी को ये सभी टैंक सील कर दिए थे। मामले को लेकर आबकारी विभाग के आयुक्त राजीव दुबे ने इसी सोमवार को सोम के प्रबंधन का पक्ष सुना था। सोम का पक्ष सुनने के पहले ही विभाग के सामने यह स्पष्ट हो गया था कि सोम ने अपने नए प्लांट के लिए सरकार से अनुमति का कोई आवेदन ही नहीं दिया था। नए प्लांट को आबकारी विभाग ने ऐसी ही एक विभागीय कमेटी की रिपोर्ट पर एक लाख रूपए का जुर्माना कर अनुमति दे दी थी। बाद में इन विवादित टैंकों के मामले में भी यही किस्सा सामने आया कि नए प्लांट के नक्शे में इन टैंकों का कहीं जिक्र ही नहीं था।

अब जरा मामले से जुड़ा यह बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखें। राज्य विधानसभा में इसी फरवरी में यह मामला उठा। सरकार ने रिकॉर्ड पर जानकारी दी कि सोम द्वारा सेहतगंज में खुले में स्थापित स्परिट रिसीवर टैंक और स्टोरेज टैंक के लिए आबकारी विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गयी है। सनसनीखेज बात यह भी कि विधानसभा में सरकार ने यह भी स्वीकारा कि उसे इस बात की भनक ही नहीं लगी कि ये रिसीवर टैंक और स्टोरेज टैंक कब बना लिए गए थे।

जाहिर है कि विधानसभा में भी यह साफ हो गया था कि इन टैंकों के संबंध में सोम ने नियमों को ताक पर रखकर काम किया है। हालांकि इसके बावजूद सोम के खिलाफ कोई कार्रवाई होने की एक बार फिर कोई संभावना नहीं रह गयी है। क्योंकि तमाम सचों के बावजूद सोम के मामले की जांच आबकारी विभाग की एक समिति बनाकर मामले को रफा-दफा करने का बंदोबस्त कर दिया गया है। समिति में अपर आबकारी आयुक्त गिरीश कुमार मिश्रा, सहायक आबकारी आयुक्त केसी अग्निहोत्री और उज्जैन के सहायक आबकारी आयुक्त हर्षवर्द्धन राय को रखा गया है।

समिति जिन बिंदुओं पर जांच करेगी, उनमें से कुछ बेहद रोचक हैं। मसलन, इसे ये पता लगाने को कहा गया है कि जिन टैंकों पर विवाद है, उन्हें बनाने की प्लानिंग का क्या सोम ने सरकार से जिक्र किया था। और ये भी पता लगाने की बात समिति को सौंपी गयी है कि क्या इन टैंकों के बनाने या उन्हें एडवांस रूप देने का काम इसके लिए सरकार द्वारा मंजूर किये गए नक़्शे के मुताबिक हुआ है या नहीं। समिति को यह भी पता लगाना है कि इन टैंकों के लिए सरकार से आवश्यक अनुमतियां ली भी गयी थीं या नहीं। यानी विधानसभा में जिन नियमों और औपचारिकतायों के सरासर उल्लंघन की बात स्वीकारी जा चुकी है, उन्ही सारे बिंदुओं की जांच के लिए अब समिति बना दी गयी है। समिति से कहा गया है कि वह 25 मार्च तक सरकार को रिपोर्ट सौंप दें।

जानकार सूत्र बताते हैं कि अब समिति बहुत से बहुत यह अनुशंसा करेगी कि प्लांट में टैंकों को लेकर हुई गड़बड़ी के लिए सोम पर जुर्माना लगाकर सभी टैंक नियमित कर दिए जाएं। इसके लिए टैंक निर्माण में हुए भारी-भरकम खर्च का हवाला दिया जा सकता है। बता दें कि प्लांट की अनुमति के मामले में सोम को इसी तरह पहले भी बचाया गया था। इन्हीं टैंकों की पूर्व में आबकारी आयुक्त स्तर पर जांच हुई थी। उसके बाद तत्कालीन आयुक्त ने सोम प्रबंधन पर केवल एक लाख रुपये का जुर्माना लगाकर प्लांट को नियमित करवा लिया था। अब एक बार फिर ऐसा ही करने की तैयारी कर ली गयी है।

इस मामले में राज्य सरकार की कार्यवाही को लेकर सवाल उठना बेमानी नहीं है। टैंक्स सील किये जाने के बावजूद सोम प्रबंधन ने बीच में जो काम किये, उनके लिए कोई भी कार्यवाही करने की सरकार हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही है। जबकि मामला सरकारी अमले की जान-माल की सुरक्षा से सीधा जुड़ा हुआ है। यह घटना तब सामने आयी, जब बीते दिनों रायसेन जिले के प्रभारी आबकारी अधिकारी पंकज तिवारी ने संभागीय उड़नदस्ता के उपयुक्त विनोद रघुवंशी को एक खत भेजा। इसमें साफ कहा गया कि विभाग ने जिन टैंक्स को सील किया था, सोम के स्टाफ ने उन टैंकों में पाइप डालकर उनसे स्प्रिट निकालने और उसकी मदद से देशी शराब बनाने का काम शुरू कर दिया है। खत में कहा गया कि इस काम से रोकने पर सोम के स्टाफ ने आबकारी विभाग के अमले को डरा-धमकाकर उन्हें गंभीर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी है।

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