
नई दिल्ली। भारतीय रुपये में गुरुवार को बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। आज के शुरूआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 42 पैसे गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 80.28 पर पहुंच गया है। इससे पहले बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.9750 के स्तर पर बंद हुआ था। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.79 के स्तर पर खुला था और दिन के कारोबार के दौरान इसमें लगातार गिरावट देखी गई थी। वहीं दूसरी ओर, डॉलर में पिछले 20 वर्षों में सबसे बड़ा उछाल आया है।
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने की एक बड़ी वजह यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाया जाना है। बुधवार को यूएस फेड ने मंहगाई को नियंत्रित करने के 0.75 बेसिस प्वाइंट ब्याज दर बढ़ाया था। इससे पहले जुलाई में भी यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों में इजाफा किया गया था। बता दें, रुपये की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय बैंक ने जुलाई में 19 अरब डॉलर के रिजर्व को बेच दिया था। लेकिन स्थिति बहुत बेहतर नहीं हुई है।
रुपए का कमजोर होना चिंता का विषय
वहीं एक समाएचार एजेंसी को नाम ना छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, बाजार के बुनियादी अनुरूप कमजोर रुपया हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है। अधिकारी के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी मददगार साबित होगा। इससे इंपोर्ट घटेगा और एक्सपोर्ट बढ़ेंगा। हालांकि, इस पूरे मसले पर अभी वित्त मंत्रालय ने कोई कमेंट नहीं किया है।
इस वजह से गिरा भारतीय रुपया
दरअसल अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बेतहाशा महंगाई पर नियंत्रण के लिए ब्याज दरें 0.75 फीसदी बढ़ाने की घोषणा की है। लगातार तीसरी बार वृद्धि के बाद बैंक का बेंचमार्क फंड दर बढ़कर 3% से 3.25% तक हो गया है। 2023 तक ब्याज दरों के 4.6 फीसदी तक जाने का अनुमान है। इसका असर भारत सहित पूरी दुनिया पर पड़ने की आशंका है। इससे बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई और बाजार दिन के निचले स्तरों पर बंद हुआ।
अमेरिकी डॉलर पहुंचा 111.61 पर
इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शान वाला डॉलर सूचकांक 0.88 प्रतिशत चढ़कर 111.61 पर आ गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.49 प्रतिशत बढ़कर 90.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को शुद्ध रूप से 461.04 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।