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रिसर्च में दावा: बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों में वैक्सीन लगवाने की बेचैनी, बदलनी होगी टीके की रणनीति

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वैक्सीनेशन के अभियान को शुरू हुए दो महीने से अधिक हो गया है, सरकार की ओर से जारी ताजा रिसर्च में दावा किया गया है कि लोगों में वैक्सीन को लगवाने के लिए एक बेचैनी सी है। इस बेचैनी के बीच वैक्सीन को लेकर पैदा हो रहे खतरे के खत्म होने की उम्मीद है और साथ ही कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों का डर भी। हालांकि, ताजा ट्रेंड की मानें तो अधिकतर लोग कोरोना की वैक्सीन लगवाना चाहते हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या भारत को कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर अपनी नीति बदलने की जरूरत है?

फिर डराने लगा है महाराष्ट्र?
महाराष्ट्र से सामने आए कोरोना के मामले एक बार फिर देश को डरा रहे हैं। मौजूदा वक्त में देश में जितने भी नए मामले सामने आए हैं, उसमें से 60 फीसदी महाराष्ट्र से ही सामने आ रहे हैं। राज्य में अब कुछ जगहों पर लॉकडाउन लौटा है और डर है कि ये पूरे राज्य में लग सकता है। महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच कई चिंताएं हैं, जिनमें कोरोना के नए वैरियंट, लोगों की लापरवाही जैसे कई बड़े कारण सामने आए हैं।

क्या बदलाव करने की जरूरत?
इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक हेल्थ के डायरेक्टर दिलीप मावलनकर के मुताबिक, भारत को अपनी कोरोना वैक्सीनेशन की नीति बदलने की जरूरत है, क्योंकि अगर इस रफ्तार से आगे बढ़े तो पूरे देश में हर्ड इम्युनिटी लाने में लंबा वक्त लग सकता है। नीति में बदलाव करके फोकस इलाके या शहर को टारगेट कर जल्द से जल्द वैक्सीनेशन के काम को आगे बढ़ाना चाहिए। वहीं, एम्स के डॉ। रणदीप गुलेरिया का कहना है कि हमारे पास इतनी पर्याप्त वैक्सीन नहीं हैं जिससे जुलाई तक लोगों को डोज दी जा सके। ऐसे में इस बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में वैक्सीन के निर्माण की रफ्तार को भी बढ़ाना होगा।




बता दें कि सरकार की ओर से जो टारगेट रखा गया है, उसके मुताबिक मौजूदा चरण में करीब 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगनी है जिसके लिए 60 करोड़ डोज की जरूरत होगी। अभी तक भारत में कुल दो ही वैक्सीन को मंजूरी मिली हैं। कोविशील्ड, कोवैक्सीन का देश में इस्तेमाल हो रहा है और रूस की स्पुतनिक-वी को जल्द मंजूरी मिलने के आसार हैं।

दिल्ली नेफ्रोन क्लिनिक के डॉ। संजीव का कहना कि अब वक्त आ गया है कि वैक्सीनेशन को अनलॉक कर दिया जाए, कोरोना की नई वेव जिस तेजी से बढ़ रही है उस हिसाब से मौजूदा स्पीड को चार-पांच गुना बढ़ाने की जरूरत है। इतना ही नहीं, एक्सपर्ट का मानना है कि अब जिन देशों में केसों में अचानक बढ़ोतरी हो रही है, वहां पर मिशन मोड में हर व्यक्ति को वैक्सीन दी जानी चाहिए, जिनमें महाराष्ट्र के कई शहर शामिल हो सकते हैं।

कैसा चल रहा है वैक्सीनेशन का अभियान?
आपको बता दें कि मौजूदा वक्त में भारत में करीब 40 हजार सेंटर्स पर वैक्सीनेशन का अभियान चल रहा है। सोमवार तक देश में 4।5 करोड़ से अधिक कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं, करीब 75 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज मिल गई हैं। अभी तक भारत ने एक दिन में सर्वाधिक 30 लाख वैक्सीन की डोज देने का काम किया है।

बीते दिन सरकार ने वैक्सीनेशन को लेकर एक अहम निर्देश दिया, जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच के वक्त को एक महीने से बढ़ाकर दो महीने करने को कहा गया है। बता दें कि वैक्सीनेशन के अभियान से इतर भारत में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, जो कि चिंता का मुख्य विषय हैं।

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