धर्म

आने वाली है गणेश चतुर्थी ,इस तरह करें बप्पा की पूजा,न देखें इस रात का चांद

पंचांग के अनुसार,भगवान गणेश का महापर्व गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) सनातन हिंदु धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।इस साल गणेश चतुर्थी 10 सितंबर 2021 को मनाई जा रही है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। बहुत सारे लोग इस त्योहार के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घर लाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन गणपति भगवान का जन्म हुआ था। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना के करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है। भगवान गणेश की कृपा से सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

इस साल गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) का पावन पर्व 10 सितंबर 2021 को शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मध्याह्न काल गणेश पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। इस दौरान विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है। इस दिन पूजा का शुभ मुहुर्त मध्याह्र काल में 11:03 से 13:33 तक है यानि 2 घंटे 30 मिनट तक है।

गणेश चतुर्थी 2021 पूजन का शुभ मुहूर्त-
गणेश चतुर्थी शुक्रवार 10 सितंबर 2021
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक
अवधि- 02 घंटे 29 मिनट
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय- सुबह 09 बजकर 11 मिनट से शाम 08 बजकर 52 मिनट तक
अवधि- 11 घंटे 41 मिनट
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 10 सितंबर 2021 को 12 बजकर 18 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021 को 09 बजकर 57 मिनट तक

गणेश चतुर्थी का धार्मिक महत्व
धार्मिक महत्व के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी की पूजा करता है बप्पा ऐसे व्यक्ति के जीवन से सभी दुख, कष्ट और परेशानियां दूर करके उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। विशेष तौर से यदि आपके जीवन में लंबे समय से कोई रोग, कष्ट या परेशानी है तो गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा करने से आपको उसमें भी राहत मिल सकती है।

गणेश चतुर्थी के दिन न करें चंद्रमा के दर्शन-
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। अगर भूलवश चंद्रमा के दर्शन कर भी लें, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की ओर फेंक दें।

गणेश चतुर्थी पूजन विधि
-गणेश चतुर्थी के दिन जल्दी उठकर स्नान करें और फिर घर में बप्पा की प्रतिमा लाएं और उसे पूजा स्थल पर सम्मान से स्थापित कर दें।
-इसके बाद गणेश भगवान को उनकी प्रिय वस्तुएं जैसे लड्डू, मोदक और दूर्वा अर्पित करें।
-जितने भी दिन आप गणेश भगवान को अपने घर में रखते हैं, नियम से, दोनों पहर में उनकी पूजा अवश्य करें और पूजा में पंचामृत, लाल कपड़ा, फल, फूल, भोग, अक्षत, कलावा, नारियल, लौंग, पांचों मेवा जरूर शामिल करें।
-गणेश भगवान की पूजा आरती से पूरी होती है, इस बात का विशेष ध्यान रखें।

भगवान गणेश को लगाएं भोग-
गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था।

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