रिकवर हो रही अर्थव्यवस्था: महंगे कच्चे तेल से आम लोगों की टूट रही कमर, सीमेंट की बढ़ी कीमतों से घर भी होंगे महंगे

मुंबई। कोरोना महामारी के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में भारी गिरावट दर्ज की गई। यह फिलहाल धीरे-धीरे रिकवर कर रही है। लेकिन पिछले साल दिसंबर से फरवरी के दौरान क्रूड आयल, नेचुरल गैस, मेटल सहित कीमती धातू तक महंगे हुए हैं। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है।
वैक्सीनेशन से पटरी पर लौटती आर्थिक एक्टिविटी
कोरोना वैक्सीनेशन के चलते दुनियाभर की इकोनॉमी एक बार पटरी पर लौट रही है। इंडस्ट्रियल एक्टिवटी, ट्रांस्पोर्टेशन सहित अन्य भी प्री-कोविड लेवल तक पहुंच गए हैं। इससे कच्चे तेल की खपत भी तेजी से बढ़ी है। नतीजतन, नवंबर 2020 से अब तक कच्चे तेल की कीमत में 78% बढ़कर 69.22 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। यह 2 नवंबर को वायदा बाजार में 39 डॉलर प्रति बैरल पर था।
महंगे कच्चे तेल से आम लोगों पर महंगाई की मार
महंगे कच्चे तेल का सीधा असर खाद्य पदार्थो की कीमतों पर पड़ रही। नेशनल स्टैटिस्टिकल आॅफिस के मुताबिक फरवरी में रिटेल महंगाई मापने वाला कंज्युमर प्राइस इंडेक्स 5.03% रहा, जो अक्टूबर 2016 से मार्च 2020 के दौरान कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का औसत 3.9% रहा था। ब्लूमबर्ग के मुताबिक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन महामारी की मार से तेजी से रिकवर कर रही है। इससे एनर्जी, मेटल और एग्रीकल्चर सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं।
मेटल सेक्टर में बढ़त से निर्माण कार्य प्रभावित
मेटल सेगमेंट में आयरन ओर, टिन सहित एल्युमिनियम की कीमतों में बढ़ोतरी से इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण कार्य प्रभावित होंगे। इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर शामिल हैं। इसके अलावा स्टील और सीमेंट की बढ़ती कीमतों से घर भी महंगे होंगे। इसी तरह कॉपर, लेड और सिल्वर की कीमतें बढ़ने के कारण कार से लेकर वाशिंग मशीन तक सभी की कीमतें प्रभावित होंगी। कॉपर की कीमत दस साल के सबसे ऊंचे स्तर 4 डॉलर प्रति पाउंड पर पहुंच गया है।
रिकॉर्ड हाई से फिसला सोने का भाव, सिल्वर और प्लेटेनियम की कीमत भी बढ़ी
सिल्वर की कीमत पिछले साल दिसंबर से फरवरी के दौरान 10% बढ़ा है। इसी तरह प्लेटेनियम का भाव भी 17% चढ़ा है। हालांकि अमेरिकी करेंसी डॉलर की लगातार घटती कीमत से सोने का भाव रिकॉर्ड हाई से 22% नीचे आ चुका है, जो अगस्त में 56,254 रुपए प्रति 10 ग्राम पर था।