धर्म

शिव पूजा में क्यों इस्तेमाल किया जाता है तीन पत्तियों का ‘बिल्वपत्र’,जानें

सोमवार (Monday) का दिन भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है।  यूं तो भोलेशंकर की पूजा में कई सामग्रियों का प्रयोग क‍िया जाता है। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो भगवान शिव के पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है। शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से महादेव। प्रसन्न होते हैं मान्यतता है क‍ि श‍िवकी पूजा में कुछ भी न हो तो बस एक बेलपत्र ही काफी है। लेक‍िन सबकुछ हो और बेलपत्र न हो तो पूजा अधूरी रह जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार अवढरदानी की पूजा में बेलपत्र का अत्यंंत महत्वरपूर्ण स्था न है। आइए जानते हैं कि आखिर क्योंर शिव की पूजा में अर्पित किए जाने वाला तीन पत्तियों वाला बेलपत्र इतना महत्वापूर्ण है?

बेलपत्र का महत्व
बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं। बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं लेकिन इन्हें एक ही पत्ती मानते हैं। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र प्रयोग होते हैं और इनके बिना शिव की उपासना सम्पूर्ण नहीं होती। पूजा के साथ ही बेलपत्र के औषधीय प्रयोग भी होते हैं। इसका प्रयोग करके तमाम बीमारियां दूर की जा सकती हैं।

बेलपत्र के प्रयोग की सावधानियां
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो जब भी आप महादेव को बेलपत्र अर्पित करें तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि गलत तरीके से अर्पित किए हुए बेलपत्र शिव को अप्रसन्न भी कर सकते हैं।
बिल्वपत्र के वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास होता है। कहते हैं कि इसकी पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है और बेलपत्र के वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर निरंतर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
-बेलपत्र के वृक्ष को घर में लगाने या उसके प्रतिदिन दर्शन करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। घर में बिल्वपत्र का वृक्ष होने पर परिवार के सभी सदस्य कई प्रकार के पापों से मुक्त हो जाते हैं।
-रविवार और द्वादशी तिथि पर बिल्वपत्र के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन पूजन करने से मनुष्य ब्रम्ह हत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है। इसके प्रभाव से यश और सम्मान मिलता है।
-बिल्वपत्र का वृक्ष घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में होने से यश बढ़ता है। वहीं उत्तर-दक्षिण दिशा में होने से सुख शांति बढ़ती है। वहीं अगर यह वृक्ष निवास स्थान के मध्य में हो तो जीवन में मधुरता आती है।

शादी में देरी हो रही हो तो कैसे करें बेलपत्र का प्रयोग?
कई बार ना चाहते हुए भी शादी में देरी होने लगती है। कोई भी रिश्ता तय नहीं हो पाता। इसका कारण जो भी हो पर बेलपत्र के उपाय से इस समस्या का समाधान जरूर हो सकता है। तो आइए जानते हैं बेलपत्र के प्रयोग से कैसे मनचाहे समय पर होगा आपका विवाह…
– 108 बेलपत्र लें और हर बेलपत्र पर चन्दन से ‘राम’ लिखें।
– ‘ॐ नमः शिवाय’ कहते हुए बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं।
– सारे बेल पत्र चढ़ाने के बाद शिव जी से शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।

बेलवृक्ष में इन देवियों का है वास!
इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं। कहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियां समाहित हैं। मान्येता यह भी है क‍ि इसमें देवी महालक्ष्मी का भी वास है। जो श्रद्धालु शिव-पार्वती की पूजा में बेलपत्र अर्पित करते हैं। उन्हें भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है।

बेलपत्र से जुड़े कुछ नियम…
जानकारों के अनुसार बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। इसके अलावा इस बात का भी ख्यााल रखें क‍ि कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें। साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए।

: बेलपत्र को कभी भी टहनी के साथ नहीं तोड़ना चाहिए। इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भोलेनाथ को अर्पित करना चाहिए।

: स्कंद पुराण के अनुसार अगर नया बेल पत्र नहीं मिल सके तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर आप चढ़ा सकते हैं। इससे किसी भी तरह का पाप नहीं लगेगा

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