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म्यांमार में सेना का खूनी खेल: आंदोलन को कुचलने 114 लोगों को उतारा मौत के घाट

यंगून। म्यांमार में सेना के तख्तापलट के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सेना ने शनिवार को देश की राजधानी नायपिटाव में वार्षिक सैन्य दिवस पर परेड किया। लेकिन आंदोलन को कुचलने के लिए सेना ने दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। लोगों के आंदोलन को दबाने के लिए ये म्यांमार में सेना की अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई बताई जा रही है। आॅनलाइन न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को सेना की गोलीबारी में मरने वालों की संख्या 114 तक पहुंच गई। यंगून में एक स्वतंत्र शोधकर्ता के मुताबिक सेना ने दो दर्जन से ज्यादा शहरों और कस्बों में आंदोलित लोगों के खिलाफ गोलीबारी की जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए।

मरने वालों का अनुमानित आंकड़ा इससे पहले की सेना की गोलीबारी में 14 मार्च को मारे गए लोगों से अधिक है। 14 मार्च की घटना में 74-90 लोगों के मारे जाने की बात कही गई थी। सुरक्षा वजहों से नाम न जाहिर करने वाले शोधकर्ता की ओर से आमतौर पर प्रत्येक दिन के अंत में असिस्टेंट एसोसिएशन आफ पॉलिटकल प्रिजनर्स की मदद से सेना की हिंसक कार्रवाई में मारे जाने वाले लोगों का आंकड़ा जारी किया जाता है। शोधकर्ता की ओर से जारी मृत्यु संबंधी आंकड़े और गिरफ्तारी के दस्तावेज को व्यापक रूप से एक निश्चित स्रोत के रूप में देखा जाता है। हालांकि समाचार एजेंसी द एसोसिएट प्रेस ने मौत के इन आंकड़ों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा
सेना की तरफ से इन हत्याओं को दिए गए अंजाम के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी निंदा की जा रही है। म्यांमार के कई राजनयिक मिशनों ने बयान जारी किए जिसमें बच्चों सहित शनिवार को नागरिकों की हत्या का उल्लेख किया गया। म्यांमार के यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने ट्वीट किया, “76वें म्यांमार सशस्त्र बल दिवस का दिन आतंक और अपमान का दिन माना जाएगा। बच्चों सहित निहत्थे नागरिकों की हत्या अनिश्चितकालीन कृत्य है।” अमेरिकी राजदूत थॉमस वाजदा ने एक बयान में कहा, “सुरक्षा बल निहत्थे नागरिकों की हत्या कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “ये एक पेशेवर सैन्य या पुलिस बल का यह एक्शन नहीं हो सकता है। म्यांमार के लोग सैन्य शासन में नहीं रहना चाहते हैं। वे (जनता) साफ साफ बोल रहे हैं।”

 




 

म्यांमार में सेना की निरंकुशता का आलम यह हो गया है कि हर रोज मृत्यु का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। एक फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद से सेना ने आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को बाहर कर दिया। सेना तख्तापलट का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों के खिलाफ और शक्तिशाली हुई है और निर्मम हत्याओं को अंजाम दे रही है। असिस्टेंट एसोसिएशन आॅफ पॉलिटकल प्रिजनर्स की मानें तो म्यांमार में तख्तापलट के बाद से सेना शुक्रवार 26 मार्च तक 328 लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है।

विरोध प्रदर्शन का जिक्र नहीं
नायपिटाव में सशस्त्र सेना दिवस पर दिए अपने भाषण में जुंटा के प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग ह्लांग ने सीधे तौर पर विरोध आंदोलन का जिक्र नहीं किया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि आतंकवाद देश की शांति और सुरक्षा के लिए हानिकारक जो अस्वीकार्य है।

म्यांमार में इस साल की शुरूआत विरोध प्रदर्शनों और हिंसा से भरी रही, सेना लोगों के आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है। आंदोलनकारियों ने सशस्त्र सेना दिवस को प्रतिरोध दिवस का नाम दिया। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी कब्जे के खिलाफ भी इसी तरह का प्रतिरोध देखने को मिला था।

ज्यादातर समय रहा सैन्य शासन
बता दें कि म्यांमार को बर्मा के नाम से भी जाना जाता है। यह देश 1948 में ब्रिटेन के औपनिवेशिक कब्जे से आजाद हुआ। हालांकि उसके बाद म्यांमार में ज्यादातर सैन्य शासन रहा है। म्यांमार में एक फरवरी 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया और सत्ता पर काबिज हो गई। तब से सेना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों में 300 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। 27 मार्च शनिवार को म्यांमार में बड़ी तादाद में लोग सड़कों पर निकले।

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