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फिर गम में डूबा देश: 8 दिन संघर्ष करने के बाद भी मौत को मात नहीं दे सके ग्रुप कैप्टन, बेंगलुरू के सैन्य अस्पताल में ली अंतिम सांस

नयी दिल्ली। हेलीकॉप्टर हादसे (helicopter crash) में जिंदगी और मौत (life and death) से एक हफ्ते तक लड़ने वाले वायु सेना के ग्रुप कैप्टन वरूण सिंह (Air Force Group Captain Varun Singh) ने आज फिर एक बार पूरे देश को गम में डुबा दिया। आज दोपहर 1 बजे अचानक खबर आ गई की ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह नहीं रहे (Group Captain Varun Singh is no more)। उन्होंने अंतिम सांस बेंगलुरू Bangalore() के सैन्य अस्पताल में ली। बता दें कि कुन्नूर में हुए हेलीकाप्टर हादसे में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ((CDS) General Bipin Rawat), उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के 11 अन्य र्किमयों की जान चली गई थी। वहीं इस हादसे में कैप्टन वरुण सिंह गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे।

हादसे के बाद से ग्रुप कैप्टन की हालत नाजुक बनी थी । उनका शुरूआती इलाज वेलिंगटन में मौजूद मिलिट्री अस्पताल में हुआ था। बेहतर इलाज के लिए 9 दिसंबर को उनको वेलिंगटन से बेंगलुरू में मौजूद कमांड हॉस्पिटल command hospital() शिफ्ट किया गया था। इसके बाद भी यहां उनकी हालत स्थिर बनी रही। लेकिन स्थिति लगातार नाजुक थी। उनको कई चोटें भी लगीं थी। वरुण सिंह हादसे के बाद करीब 80 प्रतिशत तक जल गए थे।

दिन में दो बार फोन करते थे राजनाथ सिंह
अस्पताल में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भर्ती कराए गए तो सरकार और सेना की तरफ से उन्हें बेस्ट मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जा रही थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) दिन में एक नहीं, दो-तीन बार फोन करके परिवार के सदस्यों से बात करते थे। वह ग्रुप कैप्टन का इलाज कर रहे डॉक्टरों से भी बात कर रहे थे जिससे हरसंभव सहायता दी जा सके।

80 प्रतिशत झुलस गया था शरीर, पर आखिरी सांस तक लड़ा योद्धा
वह हेलिकॉप्टर क्रैश के इकलौते सर्वाइवर थे। उनका शरीर 80 प्रतिशत झुलस गया था पर इस योद्धा ने हार नहीं मानी। पूरी जीवटता के साथ वह आखिरी सांस तक लड़े लेकिन जिंदगी-मौत की इस जंग को वह जीत नहीं सके। कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह Congress leader Akhilesh Pratap Singh() उनके चाचा हैं। इतना बर्न था लेकिन सबको भरोसा था कि वरुण घर जरूर लौटेंगे। वरुण के निधन पर अब भी परिवार को यकीन नहीं हो रहा। देश भी गहरे सदमे में है।

इंडियन एयरफोर्स के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर वरुण सिंह के निधन के बारे में जानकारी दी गई. वरुण सिंह ने एक सप्ताह से ज्यादा समय तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ी और बुधवार को उनके निधन की दुखद खबर आई। भारतीय वायुसेना उनके निधन पर परिजनों के प्रति सांत्वना व्यक्त की है। वरुण सिंह अभिनंदन वर्धमान के बैचमेट थे. वरुण सिंह को शौर्य चक्र से भी नवाजा जा चुका है, एक हवाई इमरजेंसी के दौरान उन्होंने एलएससी में तेजस लड़ाकू विमान को बचाया था।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था स्कूल के नाम लिखा पत्र
सिंह ने चंडी मंदिर के आर्मी पब्लिक स्कूल के प्राधानचार्य को लिखे एक पत्र में छात्रों से कहा, औसत दर्जे का होने में कोई बुराई नहीं है। स्कूल में सभी बेहतरीन नहीं हो सकते हैं और सभी 80 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल नहीं कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं ये जबर्दस्त उपलब्धि है और इसकी सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो यह न सोचें कि आप औसत दर्जे के हैं।

आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं लेकिन यह जीवन में आने वाली चीजों का कोई पैमाना नहीं है। सिंह ने कहा था, आप अपने शौक को पहचानिए। यह कला, संगीत, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य आदि हो सकता है। आप जो भी काम करें, पूरी लगन से करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें। कभी भी यह सोचकर सोने नहीं जाएं कि मैं और कोशिश कर सकता था। उन्होंने कहा कि वह स्कूल में औसत छात्र थे और 12वीं कक्षा में उनके मुश्किल से प्रथम श्रेणी के अंक आए थे लेकिन उनमें विमानों के लिए जुनून था।

उन्होंने कहा था, इस वर्ष 15 अगस्त को, मुझे 12 अक्टूबर 2020 को वीरता के एक कार्य के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। सिंह ने कहा था, मैं इस प्रतिष्ठित पुरस्कार का श्रेय उन सभी को देता हूं, जिनसे मैं वर्षों से स्कूल, एनडीए और उसके बाद वायु सेना में जुड़ा रहा हूं। मेरा मानना है कि मेरा उस दिन का कार्य मेरे शिक्षकों के मार्गदर्शन का नतीजा है। सिंह ने यह पत्र 18 सितंबर को लिखा था।

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