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मणिपुर हमले का जिम्मेदार एमएनपीएफ: आक्रोशित उठा पूरा देश, बड़े एक्शन की हो रही मांग

कोलकाता। मणिपुर (Manipur) में कल आतंकी हमले में सात लोगों की मौत (Seven killed in terrorist attack) हुई थी, जिसमें की एक कर्नल समेत चार जवान भी शहीद (Four soldiers including colonel also martyred) हो गए थे। वहीं अब इस हमले की जिम्मेदारी मणिुपर नागा पिपुल्स फ्रंट (MNPF) ने ली है। जिम्मेदारी लेने के बाद आतंकवादियों ने कहा कि काफिले में कर्नल की पत्नी और बेटे की मौत (Colonel’s wife and son die) भी हुई इस बारे में हमें अभी तक कोई जानकारी मिली है। कल हुए इस बड़े आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोशित हो उठा है और बड़ी कार्रवाई की मांग भी उठने लगी है।

मणिपुर के चूड़ाचंद्रपुर जिले के सिंघट इलाके में शनिवार दोपहर आतंकियों ने असम राइफल्स के काफिले पर घात लगाकर हमला (Ambush on Assam Rifles convoy) कर दिया। हमले में 46 असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर समेत पांच जवान शहीद (Five jawans including the commanding officer of 46 Assam Rifles martyred) हो गए। हमले में कर्नल की पत्नी और बेटे की भी मौत हो गई। बता दें कि इस समय मणिपुर में आधा दर्जन से ज्यादा उग्रवादी गुट सक्रिय हैं। इनके कुछ नेताओं ने म्यांमार में भी अपने अड्डे बना रखे हैं। इनका संबंध चीन से भी रहा है। फिलहाल वास्तविक वजहों की पड़ताल करने में एजेंसियां जुटी हुई हैं।





जिम्मेदारी लेने के अलावा एक नोट भी जारी कर दिया गया है। उस नोट में घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है। ये भी कहा गया है कि हमला करने वाले लोग इस बात से अंजान थे कि काफिले में कर्नल की पत्नी और बच्चा भी मौजूद थे। ऐसे में नोट के अंदर जवानों को ही नसीहत दे दी गई है कि वे संवेदनशील इलाकों में परिवार को साथ लेकर ना आए। कहा गया है कि जिन इलाकों को सरकार ने भी सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील माना है, वहां पर परिवार का रहना ठीक नहीं है।

कैसे हुआ था ये हमला?
हमले की बात करें तो सुबह करीब दस बजे मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के सिंघाट में आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया। उनकी तरफ से 46 असम राइफल्स के कमांडिंग आफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी को निशाना बनाया गया और उनके काफिले पर ये जानलेवा हमला हुआ। ये हमला भी तब हुआ जब 6 असम राइफल्स के कमांडिंग आफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी फॉरवर्ड कैंप (Colonel Biplab Tripathi, Commanding Officer, Assam Rifles Forward Camp) से वापस लौट रहे थे। उस समय उनके काफिले में उनका परिवार भी मौजूद था। लेकिन क्योंकि आतंकियों को उनकी मूवमेंट की पूरी जानकारी थी, ऐसे में एक तय रणनीति के तहत सिंघाट में उनके काफिले को निशाना बनाया गया और ये बड़ा हमला हो गया।

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