भोपाल

आरोप : पिछले 2 साल से हर महीने 3900 करोड़ रू. का कर्ज ले रही शिवराज सरकार, कमलनाथ का शिव सरकार पर आरोप

भोपाल – मध्यप्रदेश दिन पर दिन कर्ज के दलदल में डूबता चला जा रहा है। मप्र की शिवराज सिंह चौहान सरकार आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह विफल रही है। प्रदेश की जनता ने आशा की थी कि विधानसभा के बजट सत्र में सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का कोई रोडमेप प्रस्तुत करेगी। लेकिन बजट सत्र समाप्त होने के बाद यह स्पष्ट है कि शिवराज सरकार यावत जीवेत सुखम जीवेत, ऋणम कृत्वा घृतम पीवेत के सिद्धांत पर चल रही है। अर्थात जब तक जियो सुख से जियो और उधार लेकर घी पियो। शिवराज सरकार ने प्रदेश को आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि कर्ज निर्भर प्रदेश बना दिया है। मध्यप्रदेश पर कर्ज के बढ़े बोझ के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने आज जारी एक बयान में यह बात कही।

प्रदेश के कर्ज के आंकड़ों का बिंदुवार विश्लेषण 
1 प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के समय वर्ष 2020 की स्थिति में लगभग एक लाख 80 हजार करोड़ रुपये का ऋण राज्य सरकार पर था जो कि वर्ष 2021 की स्थिति में 2.33 लाख करोड़ एवं वर्ष 2022 की स्थिति में 2.73 लाख करोड़ हो चुका है। सरकार के अनुसार वर्ष 2023 की स्थिति में मध्यप्रदेश पर कुल ऋण 3.25 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। 2 मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2020-21 में 52413 करोड़ रुपये एवं वर्ष 2021-22 में 40082 करोड़ रुपये शुद्ध ऋण लिया है। इसका आशय है कि मध्यप्रदेश सरकार विगत दो वर्षों से हर महीने लगभग 3 हजार 9 सौ करोड़ रुपये का ऋण ले रही है। सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में 51829 करोड़ रुपये का ऋण लेगी। वर्ष 2022-23 में सरकार हर महीने लगभग 4 हजार 3 सौ करोड़ रुपये ऋण लेगी।

20040 करोड़ रुपये ब्याज पर खर्च किए 
3 मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो ऋण लिये जाते हैं उस पर प्रतिवर्ष उसे ब्याज का भुगतान करना होता है। वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा लिये गये ऋण पर 11045 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान किया था। 2020-21 में सरकार द्वारा 15917 करोड़ रुपये एवं 2021-22 में 20040 करोड़ रुपये ब्याज के भुगतान में सरकार द्वारा खर्च किये जा रहे हैं। सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में वह 22166 करोड़ रुपये केवल ब्याज के भुगतान में खर्च करेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button