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कूनो के चीते अब नहीं रहेंगे बंधन, अब मप्र से लेकर यूपी और राजस्थान पर तक भर सकेंगे रफ्तार, पढ़ें खबर

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भोपाल। नामीबिया और साउथ अफ्रीका से भारत आए चीतों को दो साल पूरे हो गए हैं। सभी चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाया गया है। अब चीता प्रोजेक्ट से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। एनटीसीए की रिपोर्ट की मानें तो कूनो नेशनल पार्क अब तीन प्रदेशों के 17 जिलों को मिलाकर सबसे बड़ा चीता संरक्षण क्षेत्र बनेगा। इन प्रदेशों में मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान और उत्तर प्रदेश के जंगल शामिल किए जाएंगे। देश में चीता प्रोजेक्ट के दो साल पूरे होने पर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने वार्षिक प्रोग्रेस रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। बता दें कि 17 सितंबर 2022 को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बसाया गया था।

चीता संरक्षण क्षेत्र की सीमा
नए चीता संरक्षण क्षेत्र में तीन राज्यों के जिन 17 जिलों के जिन जंगलों को शामिल किया जाएगा उनमें मध्य प्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, मुरैना, गुना, अशोकनगर, मंदसौर, और नीमच जिले, राजस्थान के बारां, सवाई माधोपुर, करौली, कोटा, झालावाड़, बूंदी, और चित्तौड़गढ़ जिले, तथा उत्तर प्रदेश के झांसी और ललितपुर जिले के जंगलों को शामिल किया जाएगा। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के अनुसार सबसे बड़े चीता संरक्षण क्षेत्र की सीमा श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से शुरू होगी। जो राजस्थान के मुकंदरा टाइगर रिजर्व से होते हुए मध्य प्रदेश के मंदसौर की गांधी सागर सेंचुरी तक जाएगी। इस सीमा में आने वाले जंगल सबसे बड़े चीता संरक्षण परिक्षेत्र के रूप में जाने जाएंगे। हालांकि सबसे बड़े चीता संरक्षण परिक्षेत्र का भू-भाग कितना होगा, फिलहाल इसकी कार्ययोजना तैयार नहीं की जा सकी है।

चीतों को मिलेगा बड़ा और सुरक्षित आवास
हालांकि इस पर पांच साल के अंदर तैयार करने की योजना है। इसमें कूनो से गांधी सागर के बीच चीता कॉरिडोर का निर्माण होगा। इस कॉरिडोर का उद्देश्य चीतों के संरक्षण को बेहतर बनाना और उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना है। साथ ही रिपोर्ट में जल्द ही चीतों को खुले जंगल में छोड़ने की भी योजना है। अभी चीतों को बड़े बाड़े में रखा गया है। कूनो में चीतों को एक से डेढ़ वर्ग किलोमीटर के सीमित क्षेत्र में रखा गया है, जबकि एक चीते को सामान्य रूप से 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र की आवश्यकता होती है। नए चीता कॉरिडोर और संरक्षण क्षेत्र के निर्माण से चीतों को एक बड़ा और सुरक्षित आवास मिलेगा।

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