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कुबेरेश्वर धाम का बड़ा बयान: साधु-संत मठ के लिए नहीं राष्ट्रहित के लिए करें राजनीति, प्रेरणा लें यूपी सीएम से

इंदौर। सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम के प्रमुख पं. प्रदीप मिश्रा छिंदवाड़ा में शिव महापुराण कथा समाप्त करने के बाद अब देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार इंदौर पहुंचे हैं। आर्थिक राजधानी पहुंचने पर जहां मीडिया से चर्चा के दौरान उनके कई सवालों के जवाब दिए। वहीं तमिलनाड़ के सीएम स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन उनकी ही पार्टी के सांसद द्वारा सनातन धर्म की तुलना कोरोना और डेंगू से करने पर करारा पलटवार किया।

कथावाचक मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी कि सवाल पर कहा कि भोलेनाथ की सरकार बनेगी। वहीं साधु संतों की राजनीति में आने को लेकर मिश्रा ने कहा की मठ को लेकर राजनीति नहीं करें राजनीति में राष्ट्रहित की बात करें। उन्होंने कहा कि पूर्व के कई साधु संतों ने चुनाव में जरूर हिस्सेदारी की थी लेकिन केवल उन्होंने अपना ही घर भरा था। उन्होंने कहा कि पहले कुछ साधु संत राजनीति में आए लेकिन उन्होंने खुद के फायदे तलाश किए। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में प्रेरणा देते हैं। उन्होंने मिसाल कायम की है कि किस तरह अच्छी राजनीति की जा सकती है। उनसे सीखा जा सकता है।

संत राजनीति में आएंगे सनातन धर्म होगा मजबूत
अगर संत आएंगे राजनीति में तो हमारा सनातन धर्म और मजबूत होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी भी पार्टी के साथ नहीं हैं। जो भी सनातन धर्म के लिए काम कर रहा है वे उसके साथ हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा के राजनीति में आने पर किए गए सवाल पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह कथा वाचन में है अपने आप को संतोष महसूस कर रहे हैं और मुझे राजनीति में आने की कोई आवश्यकता नहीं है।

सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया कहने वाले खुद इन्हीं की औलाद
वहीं सनातन धर्म को कोरोना, डेंगू या मलेरिया कहने पर मिश्रा ने कहा कि वे खुद डेंगू, मलेरिया और कोरोना की औलाद हैं। अब यह बात तो उन्हें खुद तय करना है कि वे अपने पूर्वजों को क्या संबोधित करना पसंद करेंगे। सनातन सभी धर्म का मूल है और सभी का पिता है। उस सनातन धर्म की छत्र छाया में ही हम सब पले हैं। जीवन में जब दुख की घड़ी आती है, कोई संकट आता है, तब-तब सनातन धर्म हमारे साथ खड़ा होता है। उन्होंने कहा इन लोगों से पहले पूछना चाहिए कि उनके पिता, दादा और परदादा का नाम क्या है? उन्हें खुद पता चल जाएगा कि वे कौन हैं। हकीकत यही है कि वे खुद सनातनी ही हैं।

भारत पहले आया इंडिया बाद में
इंडिया और भारत के सवाल को लेकर कहा भारत तो भारत ही है क्योंकि भारत नाम ही बुलंद है। इंडिया तो कुछ लोगों ने नाम रख दिया था, भारत बोलने से हमारी छाती चौड़ी होती है। सनातन धर्म को लेकर बोले- हमें सनातन धर्म की ओर चलना चाहिए क्योंकि हमारे बच्चों की परिभाषा बदल रही है, रहन-सहन बदल रहा है, सनातन धर्म हमारे बच्चों को संस्कार देता है। मिश्रा ने कहा कि पहले भारत नाम था इंडिया तो बाद में आया। भारत या भारतीय कहने में अंग्रेजों को शर्मिंदगी होती थी क्योंकि इस शब्द में बोल्डनेस है, बुलंदी है। अंग्रेजों के समय से इंडिया नाम उपयोग में आया।

ओंकारेश्वर में एकात्म धाम पर नहीं की टिप्पणी
ओंकारेश्वर में मप्र सरकार द्वारा लाए जा रहे एकात्मधाम पर उनसे पूछा गया कि पर्वत पर शंकराचार्य जी की मूर्ति स्थापित की जा रही है। नीचे ज्योतिर्लिंग हैं और ऊपर भगवान के शिष्य की मूर्ति विराजित की जा रही है। इसका भारी विरोध भी हुआ था इस पर आप क्या कहेंगे? इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मैं कुछ भी टिप्पणी नहीं करना चाहता। शंकराचार्यों की सहमति के बाद ही यह कार्य किया जा रहा है।

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