जूड़ा की हड़ताल खत्म कराने सरकार (Government) की हर कोशिश अभी तक नाकाम होती आई है, लेकिन सरकार अब जूडा के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मूड में आ गई है। छात्रों की बर्खास्ती के बाद नई चेतावनी दी गई है।
मध्य प्रदेश: भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले कई दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों (junior doctors) की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं (health systems) पूरी से चरमरा गई हैं। जूड़ा की हड़ताल खत्म कराने सरकार (Government) की हर कोशिश अभी तक नाकाम होती आई है, लेकिन सरकार अब जूडा के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मूड में आ गई है। छात्रों की बर्खास्ती के बाद नई चेतावनी दी गई है। चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े (Nishant Varwade) ने कहा कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (Postgraduate courses) में नीट (NEET) से चयनित विद्यार्थियों को चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में मेरिट के आधार पर प्रवेश के लिए शासन द्वारा “मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम-2018 एवं संशोधन 19 जून, 2019” के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं।
उपरोक्त नियम की कण्डिका-15 (1) (ख) के अनुसार निर्धारित समय-सीमा के बाद अभ्यर्थी के द्वारा त्याग-पत्र (resignation letter) दिए जाने की दशा में उस पर सीट छोड़ने संबंधी बंधपत्र की शर्तें लागू होंगी। इसके अधीन शासकीय चिकित्सा (government medical) एवं शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय (Government Dental College) की प्रवेशित सीट से त्याग-पत्र देने पर अभ्यर्थी द्वारा बंधपत्र की राशि 10 लाख रुपए (प्रवेश वर्ष 2018 एवं 2019)/30 लाख रुपए (प्रवेश वर्ष 2020) स्वशासी संस्था को देय होगी। निजी चिकित्सा (Private medical) एवं निजी दंत चिकित्सा महाविद्यालय की प्रवेशित सीट से त्याग-पत्र देने पर संबंधित निजी संस्था में संचालित पाठ्यक्रम में सम्पूर्ण अवधि का शैक्षणिक शुल्क शासन को देय होगा।
वरवड़े ने बताया कि उपरोक्त नियम वर्ष 2018 से प्रवेशित सभी विद्यार्थियों पर प्रभावशील हैं। किसी भी अध्ययनरत स्नातकोत्तर विद्यार्थी द्वारा किसी भी कारण से सीट छोड़ने की दशा में उपरोक्त बंधपत्र अनुरूप राशि 10/30 लाख रुपए (प्रवेश के अनुसार) संबंधित स्वशासी महाविद्यालय के खाते में जमा करना अनिवार्य रहेगी।