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पश्चिमी दवा उत्पादकों की जगह ले सकती है भारत की दवा कंपनियां, जानें रूस ने क्यों दिया यह बड़ा बयान

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज 24वां दिन है, लेकिन अब तक रूसी सेना को यूक्रेन के दो बड़े शहरों राजधानी कीव और खारकीव में कोई बड़ी सफलता मिलती नहीं दिखी है। यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के बड़े प्रतिबंध भी लगा दिए हैं, जिसके कारण कई कंपनियों ने रूस का साथ वापस चली गई हैं। इस बीच भारत में रह रहे रूस के राजदूत डेनिस आलिपोव का बड़ा बयान सामने आया है।

रूसी राजदूत ने साक्षात्कार के दौरान कहा कि आने वाले दिनों में भारत की दवा कंपनियां पश्चिमी दवा उत्पादकों की जगह ले सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनियाभर की फामेर्सी का बाजार है और जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कि किसी भी असल दवा से कम नहीं हैं। अलिपोव ने स्पूतनिक एजेंसी से कहा कि रूसी बाजार से पश्चिमी कंपनियों का निकलना भारतीय कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। खासकर फार्मा इंडस्ट्री में।





बीते दिनों में अमेरिका के साथ-साथ कई देशों ने रूस से तेल खरीदने पर भी पाबंदी लगाई हैं। इसके चलते रूस से पश्चिमी देशों की अधिकतर कंपनियों ने हाथ खींच लिए हैं। ऐसे में रूस को इस क्षेत्र में भी भारी नुकसान की संभावना है। फूड चेन मैक्डोनाल्ड से लेकर वीजा और मास्टरकार्ड जैसी पेमेंट गेटवे कंपनियां भी रूस में अपनी सेवाएं बंद कर चुकी हैं। इसके अलावा अभी कई और संस्थान भी रूस छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। ऐसे में कई अहम क्षेत्रों में रूस की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं।

हालांकि, अपने इस नुकसान को कम करने के लिए रूस ने भारत को सस्ते दाम पर तेल मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया। रिपोर्ट्स की मानें तो भारतीय तेल कंपनियों ने अकेले मार्च में ही रूस से सामान्य क्षमता के मुकाबले चार गुना ज्यादा तेल खरीद भी लिया है। बढ़ती तेल खरीद के भुगतान के लिए दोनों देश की सरकारें रुपये में पेमेंट की तरकीब निकालने में भी जुटी हैं। गौरतलब है कि रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ छेड़ी गई जंग को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ से जुड़े देशों ने पुतिन सरकार और उनके बैंकों पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं।

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