नज़रिया

ब्यूरोक्रेसी में कमलनाथ टॉनिक: शिवराज का दृष्टि दोष या नेत्र ज्योति प्रक्षालन!

15 महीने की कमलनाथ सरकार ने वो कमाल किया, जो शिवराज सिंह चौहान की 13 साल की सरकार में नहीं हो सका था। इन कांग्रेसी पंद्रह महीनों में ऐसा क्या हुआ कि चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान की आंखों से मोतियाबिंद जैसा जाला हट गया और उन्हें ब्यूरोक्रेसी की हर परत दिखने लगी। सियासतदानों के दृष्टि दोष और नेत्र ज्योति के बीच काफी फर्क होता है। आमतौर पर किसी करीबी, सलाहकार या सहयोगी का चश्मा उन पर चढ़ा होता है। इसी चश्मे से वे लोगों को देखते हैं। उनकी परख करते हैं। अच्छे-बुरे की समझ इसी चश्मे के लेंस से उन्हें नजर आती है। होता यह है कि सरकार बदलने के साथ लूप लाइन में रखे हुए कोई सीनियर ब्यूरोक्रेट नई सत्ता के "संजय" बन जाते हैं

उन्हीं की आंखों से सिंहासन पर आरुढ़ व्यक्ति अपनी प्रशासनिक व्यवस्था रचता है। पिछली सरकार के करीबी अफसर प्रमुख पदों अपदस्थ किए जाते हैं और नए बैठाए जाते हैं। दिसंबर 2018 में सत्तासीन होते ही कमलनाथ ने भी यही किया था। उनके संजय बने थे सुधि रंजन मोहंती, जो 15 साल की बीजेपी सरकार में निर्वासन जैसी स्थिति से कई बार दो-चार हुए थे। कमलनाथ ने मोहंती को अपना मुख्य सचिव बनाया और मंत्रालय से लेकर जिलों तक अफसरों का रंग देख कर उनकी पदस्थापना होने लगी। किसी के दुर्भाग्य तो किसी के सौभाग्य से 15 महीने में ही सत्ता बदल हो गया। वही शिवराज फिर सिंहासन पर आसीन हो गए, जो इससे पहले 13 साल तक रहे थे। शिवराज ने आते ही सबसे पहले लूप लाइन से निकाल कर इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव बनाया।

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