फिर पटरी पर आ रहे भारत-पाक के रिश्ते: बंटवारे के पहली बार बाद युद्धाभ्यास के लिए पाक जा सकती है भारतीय सेना
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने की दिशा में एक साथ कई लेवल पर पॉजिटिव कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। ढाई साल में पहली बार पाकिस्तानी अफसरों का दल दिल्ली पहुंचा और मंगलवार को सिंधु नदी जल बंटवारे पर स्थायी आयोग की दो दिन की बैठक शुरू हुई। भारतीय अफसरों का कहना है कि इस बैठक के साथ ही दोनों देशों के संबंध पटरी पर लाने की खिड़की खुली है।
पुलवामा हमले के जवाब में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद यह पहला मौका है, जब पाकिस्तान और भारत के अधिकारी आमने-सामने बैठकर मुलाकात कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि अभी बहुत कुछ पाइपलाइन में है। शंघाई सहयोग संगठन के बैनर तले पाकिस्तान के पब्बी इलाके में आतंकवाद रोकने वाला युद्धाभ्यास होगा और भारतीय सेना उसमें शामिल होगी।
इसकी अभी सरकारी तौर पर घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इस कार्यक्रम से भारत पीछे नहीं हटेगा क्योंकि एससीओ रूस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है और भारत मॉस्को को नाराज होते नहीं देखना चाहता। लिहाजा भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद इतिहास में पहली बार भारतीय सेना पाकिस्तान में किसी दोस्ताना अभ्यास में शामिल होगी। भारत और पाकिस्तान को बातचीत की पटरी पर लाने में यूएई और सऊदी अरब ने भूमिका निभाई है।
इस बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारी अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन इस बात को मान रहे हैं कि बिना आग के धुआं नहीं उठता। संबंधों में यह प्रोग्रेस अचानक नहीं हुई, बल्कि एक लंबी प्रक्रिया के तहत हुई है। 30 मार्च को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशानबे में हार्ट एशिया कॉन्फ्रेंस होगी। इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी शामिल होंगे। वहां दोनों नेताओं के बीच मुलाकात संभव है।
गौर करने लायक बातें
- 25 फरवरी के बाद सीजफायर वॉयलेशन नहीं
- 25 फरवरी को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों ने हॉटलाइन पर बातचीत की थी। इसमें तय हुआ था कि सीमा पर सीजफायर सुनिश्चित करेंगे। तब से दोनों तरफ की तोपें शांत हैं। जबकि 1 से 25 फरवरी तक सीजफायर वॉयलेशन की 225 घटनाएं हुई थीं। इससे पहले जनवरी में पाकिस्तान ने कुल 336 बार संघर्ष विराम तोड़ा था।
- दोनों देशों के नेता कड़े बयान नहीं दे रहे, चुनावों से पाक गायब
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पाकिस्तान के PM इमरान खान और सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा लगातार नरम बयान दे रहे हैं। इमरान को कोरोना हुआ तो मोदी ने उनके जल्द ठीक होने की कामना की। इधर पांच राज्यों के चुनावी माहौल में भारतीय नेता पाकिस्तान को लेकर कोई बयान नहीं दे रहे हैं। न ही भारत बलूचिस्तान पर बयान दे रहा है।
अरब देशों की मध्यस्थता से सहमति
- दोनों देशों के नेता तल्ख बयान नहीं देंगे। पाकिस्तान नए रिश्तों की पेशकश करेगा, भारत स्वीकार करेगा।
- भारत में सीएए के विरोध जैसे प्रदर्शनों को पाकिस्तान से फंडिंग के सबूत मिले तो शांति वार्ता रोक दी जाएगी।
- भारत बलूचिस्तान के मसले पर किसी भी मंच पर फिलहाल कोई आवाज नहीं उठाएगा।