जबलपुर

दिवाली पर हवा में जहर घोलते हैं पटाखे, NGT के दो साल पुराने निर्देश को मानने फिर उठी मांग

जबलपुर। दीपावली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे ही एक बार फिर वायु प्रदूषण का मुद्दा गरमाता जा रहा है। इतना ही प्रदूषण को लेकर एनजीटी के आदेशों का पालन करने की मांग भी उठने लगी है। दरअसल एक याचिका पर साल 2020 में एनजीटी ने वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए दिवाली पर पटाखे और आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी किया था। यह याचिका जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मंच द्वारा लगाई गई थी। उसी निर्देश का हवाला देकर मप्र में पटाखों पर रोक लगाने की मांग की गई है।

आदेश के मुताबिक किसी भी शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स अगर बेहतर है तो वहां ग्रीन पटाखों को जलाने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन जहां वायु प्रदूषण का स्तर पुअर कैटेगरी में है, वहां पटाखों को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। खास बात यह है कि एनजीटी के आदेश भले ही 2 साल पहले आया हो लेकिन इसमें अमल कराने के लिए संबंधित विभाग आनाकानी करते हैं। नागरिक उपभोक्ता मंच ने एनजीटी के उसी निर्णय का स्मरण कराते हुए इस बार दीपावली पर वायु प्रदूषण के मानकों के मुताबिक ही पटाखे जलाने और प्रतिबंध के निर्देश जारी करने की मांग की है।





2020 में एनजीटी ने दिए थे आदेश

दरअसल एमपी के जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने ही एनजीटी में एक याचिका दायर पटाखों के जलने के बाद होने वाले वायु प्रदूषण पर चिंता जताई थी। बढ़ते प्रदूषण की वजहों में दीपावली के वक्त पटाखों जलाने पर 2020 में कई जरुरी निर्देश किए थे । जिसमें किसी भी शहर की वायु प्रदूषण के स्तर के हिसाब से पटाखे जलाने समयावधि निर्धारित की गई । लेकिन उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच का आरोप है कि बेहद गंभीर इस मसले को लेकर कोई भी सरकार गंभीर नहीं है । निर्देशों का ठीक ढंग से पालन नहीं हो रहा है । मंच ने मांग की है कि एनजीटी के आदेशों का जबलपुर समेत पूरे में देश में पालन कराया जाए ।

दिल्ली सरकार ने लगा दिया है प्रतिबंध

राजधानी दिल्ली में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का हवाला देते हुए सरकार ने पटाखे जलाने पर पूर्ण पाबंदी लगा दी है। जिसकी सबसे बड़ी वजह वायु प्रदूषण है, लगातार इस महानगर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही देखा गया । इसी तर्ज पर जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मध्यप्रदेश के शहरों समेत अन्य जगहों पर भी ठॠळ की गाइड लाइन के मुतबिक पटाखे जलाने की मांग की जा रही है। संगठन का कहना है कि हवा घुलते जहर की वजह से ह्रदय और सांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ हैं । स्थानीय स्तर पर शहरों में वायु प्रदूषण रोकने गंभीरता नहीं बरती जा रही हैं।

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