ब्लैक फंगस का इलाज शुरू करने के लिए टेस्ट के नतीजों का इंतजार न करें… बच्चों को लेकर क्या है गाइड लाइन

प्रमुख खबरें: नई दिल्ली। ब्लैक फंगस (Mucormycosis) खतरनाक बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (Directorate General of Health Services) ने गाइड लाइन जारी की जारी की है। इसमें कहा, ‘म्यूकरमाइकोसिस का इलाज शुरू करने के लिए टेस्ट के नतीजों का इंतजार न करें क्योंकि यह एक इमरजेंसी है।’
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, म्यूकरमाइकोसिस गंभीर फंगस संक्रमण (fungus infection) है जो स्टेरॉयड (steroids) के गलत या अधिक मात्रा में इस्तेमाल, कैंसर, अंग या स्टेम सेल के प्रत्यारोपण, डायबीटिज को उपयुक्त तरीके से नियंत्रित न करने या फिर लंबे समय तक आइसीयू में इलाज की वजह से होता है। साथ ही इसमें बताया गया है कि पोसाकोनाजोल (posaconazole) दिया जाना चाहिए जिन्हें एंफोटेरिसिन बी (amphotericin B) नहीं दिया जा सकता है। इसमें बताया गया है कि 11 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस दवा की खुराक कितनी होनी चाहिए। गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि इलाज की शुरूआत में की गई दवा जरूरत पड़ने पर ही दोहराई जाए।
कोरोना से संक्रमित या कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन का मामला अधिक देखा गया। इसके कारण मरीजों की आंखों की रोशनी खत्म होने के बाद संक्रमण और न बढ़े इसके लिए आंखें निकालनी पड़ जाती है। जिन लोगों में डायबिटीज है, उनमें इसका संक्रमण देखा जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 रोगियों के उपचार में स्टेरॉयड का उपयोग फंगल संक्रमण का एक कारण हो सकता है। म्यूकरमाइकोसिस गंभीर बीमारी है जिसकी वजह से नाक, कान और गले के अलावा शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान होता है।