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रिकॉर्ड ऊंचाई पर डीजल के दाम, पेट्रोल ने भी पकड़ी ‘आग’ 

नयी दिल्ली ।  पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) की कीमतों में क्रमश: 25 पैसे और 30 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी के बाद बृहस्पतिवार को इनकी कीमतें देश भर में रिकॉर्ड स्तर के करीब पहुंच गयीं।

सरकार के स्वामित्व वाले खुदरा ईंधन विक्रेताओं की मूल्य अधिसूचना के अनुसार, पेट्रोल की कीमत दिल्ली (Delhi) में 101.64 रुपये प्रति लीटर और मुंबई (Mumbai) में 107.71 रुपये प्रति लीटर हो गयी।

वहीं दिल्ली में डीजल के दाम बढ़कर 89.87 रुपये और मुंबई में 97.52 रुपये प्रति लीटर हो गए।

स्थानीय करों के आधार पर कीमतें राज्यों में अलग-अलग होती हैं।

दो महीने से ज्यादा समय में पेट्रोल की कीमतों में यह दूसरी और डीजल के मामले में पांचवीं वृद्धि है।

इस बढ़ोतरी ने पेट्रोल की खुदरा कीमत को रिकॉर्ड स्तर के करीब पहुंचा दिया। इससे पहले पेट्रोल जुलाई में दिल्ली में 101.84 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 107.83 रुपये प्रति लीटर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। डीजल के मामले में इस वृद्धि ने उसे जुलाई में दिल्ली में 89.87 रुपये प्रति लीटर के उच्चतम स्तर के बराबर पहुंचा दिया।

वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट के 78.64 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने के साथ अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें तीन साल के उच्च स्तर पर हैं।

वैश्विक कीमतों में उछाल की वजह से सरकार के स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी)(Indian Oil Corporation), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. (Bharat Petroleum Corporation Limited) (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. (Hindustan Petroleum Corporation Limited) (एचपीसीएल) ने 24 सितंबर को दैनिक मूल्य बदलाव फिर से शुरू कर दिया जिसके साथ ही पांच सितंबर से मूल्य वृद्धि पर लगी रोक समाप्त हो गयी।

24 सितंबर के बाद से डीजल की कीमतें पांचवीं बार बढ़ायी गयी हैं। तब से कुल मिलाकर, डीजल की कीमतों में 1.25 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई है, जबकि 18 जुलाई से पांच सितंबर के बीच कीमतों में इतने ही की यानी कुल 1.25 रुपये प्रति लीटर की कमी हुई थी।

पेट्रोल की कीमत में इस हफ्ते दो किश्तों में कुल 50 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई है।

इससे पहले डीजल की कीमत में आखिरी बार 15 जुलाई और पेट्रोल की कीमत में आखिरी बार 17 जुलाई को वृद्धि की गयी थी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लगभग तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी हैं क्योंकि दुनिया भर में उत्पादन के बाधित होने से ऊर्जा कंपनियां अपने भंडार से अधिक कच्चा तेल (Crude Oil) निकालने के लिए मजबूर हुई हैं।

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