पेगासस पर बोले खड़गे: नहीं झुकेंगे सरकार के सामने

नयी दिल्ली। पेगासस (Pegasus) जासूसी काण्ड विवाद के चलते राज्यसभा (Rajy Sabha) में तृणमूल कांग्रेस (Trinmool Congress) के छह सदस्यों के निलंबन को ‘गलत’ करार देते हुए उच्च सदन के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार विपक्षी सदस्यों को बाहर निकालकर सदन चलाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगी झुकने वाले नहीं हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खड़गे ने यह सवाल भी किया कि आखिर सरकार पेगासस जासूसी मामले पर चर्चा कराने से डर क्यों रही है?
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पेगासस जासूसी का मुद्दा देश की सुरक्षा, नागरिकों की आजादी एवं निजता से जुड़ा है। इसलिए हम इस पर चर्चा चाहते हैं। सरकार चर्चा से क्यों भाग रही है?’’
खड़गे के अनुसार, ‘‘ सरकार कह रही है कि विपक्ष चर्चा से भाग रहा है और सदन नहीं चलने दे रहा है। हमने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सलाह दी कि आप दोनों सदनों के विभिन्न नेताओं को बुलाकर बात करिए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब तक सरकार की ओर से किसी ने हमसे बात नहीं की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम कह रहे हैं कि पहले पेगासस जासूसी के मामले पर चर्चा हो। इसके बाद किसानों और महंगाई के मुद्दे पर चर्चा हो।’’
खड़गे ने सवाल किया, ‘‘हम कह चुके हैं कि इस मामले की उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) की निगरानी में जांच होनी चाहिए। दुनिया के कई देशों में इस पेगासस जासूसी के मामले की जांच हो रही है। फिर आप जांच से क्यों डर रहे हैं?’’
तृणमूल काग्रेस के सांसदों के निलंबन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘छह सदस्यों को निलंबित किया गया जो गलत है। अगर कोई हमें दबाना चाहता है तो हम और हमारे साथी झुकने वाले नहीं है।’’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ये लोग सबको बाहर निकालकर सदन चलाना चाहते हैं। यह साजिश रची गई है कि वह पेगासस मुद्दे को दबाना चाहते हैं और किसानों के मुद्दों को पीछे रखना चाहते हैं।’’
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने बुधवार को पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के समक्ष तख्तियां लेकर हंगामा कर रहे तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया था।
जिन छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए निलंबित किया गया था उनमें तृणमूल की डोला सेन, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांता छेत्री, अर्पिता घोष एवं मौसम नूर शामिल थे।
कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि सरकार को तीनों ‘काले कृषि कानूनों’ को निरस्त करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘किसान आंदोलन में 500 से अधिक किसानों की मौत हुई है, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक शब्द नहीं बोला।
बाजवा ने दावा किया, ‘‘किसानों का और हमारा मानना है कि ये कानून किसानों की ‘मौत का वारंट’ हैं। यह किसानों की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश है। हम ऐसा होने नहीं देंगे।’’
तृणमूल के सदस्य के आचरण की निंदा
उपसभापति ने सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर तृणमूल सदस्य के कल के आचरण का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अशोभनीय व्यवहार के कारण तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि जब सदन की बैठक दिन भर के लिए स्थगित हो गयी तो निलंबित सदस्यों में से एक ने सदन में अंदर प्रवेश करने की कोशिश की। इस क्रम में एक द्वार का शीशा टूट गया और एक महिला सुरक्षा अधिकारी को चोट भी आयी। उस अधिकारी ने इसकी शिकायत दर्ज करायी है और सभापति एम वेंकैया नायडू इस पर विचार कर रहे हैं।
हरिवंश ने कल की घटना को अत्यंत अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उसकी निंदा की।
उल्लेखनीय है कि नायडू ने सदन में तख्तियां प्रदर्शित करने पर कल आपत्ति जतायी थी और आसन की अवज्ञा कर हंगामा करने वाले सदस्यों से नियम 255 के तहत सदन से बाहर जाने को कहा। उन्होंने स्वयं किसी का नाम नहीं लिया था।