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सुप्रीम कोर्ट में आज होगी पेगासस जासूसी कांड की सुनवाई, जांच की मांग को लेकर संसद में जारी है घमासान

ताजा खबर : नई दिल्ली। संसद (Parliament) के मानसून सत्र में पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Detective Scandal) को लेकर सदन में मचे घमासान के बीच आज देश की शीर्ष अदालत (Supreme Court) इसी मामले पर सुनवाई करेगी। पेगासस जासूसी कांड की निष्पक्ष जांच कराने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार का दिन तय किया है। इन याचिकाओं में पेगासस जासूसी कांड की कोर्ट कि निगरानी में SIT जांच की मांग की गई है। इनमें राजनेता (politician), एक्टिविस्ट (activist), एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया (Editors Guild of India) और वरिष्ठ पत्रकारों एन. राम और शशि कुमार द्वारा दी गई अर्जियां भी शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं द्वारा कहा गया है कि सैन्य-श्रेणी के स्पाइवेयर (spyware) का उपयोग करके बड़े पैमाने पर जासूसी की जा रही है। जिससे कि लोगों के कई मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। यह एक तरह से स्वतंत्र संस्थानों में घुसपैठ, हमला और अस्थिर करने के प्रयास है, इसलिए इसपर जल्द से जल्द सुनवाई की जरूरत है। याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि केन्द्र सरकार (central government) या उसकी किसी भी एजेंसी ने पेगासस स्पाइवेयर का लाइसेंस लिया और किसी भी तरह से इसका इस्तेमाल किया तो केंद्र को इस बारे में जांच के माध्यम से खुलासा करने का निर्देश दिया जाए।





सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट (Supreme Court website) पर अपलोड की गई सूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण (Chief Justice N. V. Raman) और न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Justice Suryakant) की पीठ इजराइली फर्म NSO के स्पाईवेयर पेगासस की मदद से सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित लोगों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी की खबरों से जुड़ी नौ अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

क्या है मामला
गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी साफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकतार्ओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हैक किए गए हैं। हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा कि इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है।

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