खेल

नहीं रहे भारतीय क्रिकेट के शिल्पकार वासुदेव परांजपे 

मुंबई ।   भारतीय क्रिकेट के लिए कई प्रतिभाएं देने के चलते क्रिकेट के शिल्पकार के रूप में पहचाने जाने वाले पूर्व क्रिकेटर और वरिष्ठ कोच  वासुदेव परांजपे (Vasu Paranjape) का कल निधन हो गया।
परांजपे का सोमवार को यहां मातुंगा में अपने आवास पर निधन हुआ। वह 82 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा पूर्व भारतीय खिलाड़ी और पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता जतिन हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) (BCCI) ने बयान में कहा, ‘‘बीसीसीआई वासुदेव पारंजपे के निधन पर शोक व्यक्त करता है जिन्होंने विभिन्न क्षमताओं में खेल की सेवा की।’’
बयान के अनुसार, ‘‘खेल पर बेहतरीन पकड़ होने के कारण उन्होंने मुंबई और भारत के कई दिग्गजों के करियर को संवारा। तकनीकी रूप से बेहद सक्षम परांजपे ने अपने मानव प्रबंधन कौशल का शानदार इस्तेमाल किया।’’
बीसीसीआई ने कहा, ‘‘बोर्ड ने 1980 के दशक में उन्हें कोचिंग निदेशक नियुक्त किया और वह जूनियर क्रिकेटरों के शिविर के मुख्य कोच भी रहे। वर्ष 2000 में जब राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (National Cricket Academy) का उद्घाटन किया गया तो परांजपे इसके कोचों के शुरुआती समूह में शामिल थे।’’
बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली (Saurav Ganguly) ने कहा, ‘‘मुझे वासू सर के साथ अपनी बातें याद हैं। वह हर छोटी चीज की जानकारी रखने वाले शानदार कोच के अलावा काफी मजाकिया भी थे। उनके साथ कभी उबाऊ लम्हा नहीं आया क्योंकि वे हमें उन क्रिकेटरों की शानदार कहानियां सुनाते थे जिन्हें देखते हुए हम बड़े हुए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने भारतीय क्रिकेट की सेवा करने वाले क्रिकेटरों का करियर संवारने में पर्दे के पीछे से शानदार भूमिका निभाई। मैं जतिन और पूरे परांजपे परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।’’

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