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संसद में बोले थरूर- न्यायाधीशों के रिटायरमेंट की आयु सीमा बढ़ाने कदम उठाए सरकार

नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता (senior congress leader) और सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने संसद में उच्च न्यायालय (high Court) और उच्चतम न्यायालय (Supreme court) न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्त) संशोधन विधेयक, 2021 पर चर्चा करते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति (retirement) की आयुसीमा (age limit) बढ़ाने की मांग की। साथ ही न्यायपालिका (Judiciary) से जुड़े अन्य मुद्दों के समाधान के लिये सरकार से कदम उठाने को कहा । वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) सदस्य पी पी चौधरी P P Chowdhary() ने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (All India Judicial Service) शुरू किये जाने की मांग की ।

थरूर ने कहा कि सरकार को इस विधेयक के जरिये न्यायपालिका से जुड़े कछ दूसरे मुद्दों का समाधान करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार को उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयुसीमा बढ़़ाने और अदालतों में लंबित मामलों (cases pending in courts) का निपटारा करने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए था। थरूर ने सवाल किया क्या सरकार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयुसीमा को 62 से बढ़ाकर 65 साल करना चाहती है जैसा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए तय है?

उन्होंने कहा कि सरकार को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयुसीमा में एकरुपता होनी चाहिए। उन्होंने ऊपरी अदालतों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों का मुद्दा भी उठाया और कहा कि अगर ये पद रिक्त होंगे तो फिर लोगों को त्वरित न्याय कैसे मिलेगा। थरूर ने कहा कि 4.4 करोड़ से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि डेनमार्क (Denmark), आस्ट्रेलिया (Australia) और कुछ देशों में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयुसीमा 70 साल है। चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता ने उच्चतम न्यायालय में लंबित कुछ विवादित मामलों का उल्लेख किया जिस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Minister of State for Parliamentary Affairs Arjun Ram Meghwal) और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (BJP MP Nishikant Dubey) ने आपत्ति जताई और व्यवस्था के प्रश्न का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत में लंबित मामलों पर यहां टिप्पणी नहीं की जा सकती।

इस पर पीठासीन सभापति अंडिमुथु राजा ने कहा कि वह इसे देखेंगे और अगर कुछ भी संसदीय कार्यवाही की प्रक्रिया के विपरीत लगा तो उसे हटा दिया जाएगा। थरूर ने दावा किया कि कि न्यायपालिका ने हाल के वर्षों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), नोटबंदी और सरकार के कई अन्य कदमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने में विलंब किया है।

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