सोनिया के सचिव के बंगले को खाली करने केन्द्र ने भेजा नोटिस, तीन दिन में जवाब देने का आदेश

नई दिल्ली। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने कांग्रेस पार्टी को नई दिल्ली में सी-द्वितीय/109 चाणक्यपुरी में स्थित अपने एक बंगले को खाली करने के लिए नोटिस भेजा है। मंत्रालय की ओर से जारी किये गये दस्तावेज के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह संपत्ति कांग्रेस पार्टी को दी गई थी। इस फ्लैट में कांग्रेस पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के सचिव विंसेंट जॉर्ज रह रहे हैं। कांग्रेस को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि इस बंगले को खाली करने का निर्देश दिया जाता है।
नोटिस में कहा गया है कि इस आवास का आवंटन 2013 में मंत्रालय के संपदा निदेशालय ने रद्द कर दिया था। अधिकारियों के अनुसार दिल्ली के वीवीआई इलाके चाणक्यपुरी में स्थित इस संपत्ति में अधिक रहने के लिए कांग्रेस पर लगभग 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि पार्टी को तीन दिन के भीतर नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। नोटिस में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर यह बताने को कहा गया है कि बेदखली का आदेश क्यों नहीं जारी किया जाए।
सूत्रों ने बताया कि 25 मार्च को जारी इस नोटिस में कहा गया है कि फ्लैट नंबर सी-सेकेंड/109 पर कब्जा अवैध है और इसे खाली किया जाए। नोटिस में यह भी कहा गया है कि, सार्वजनिक परिसर अधिनियम 1971 की धारा 3बी की उप-धारा (1) के मुताबिक मैं आपसे व्यक्तिगत सुनवाई के लिए 3 कार्य दिवसों के भीतर दोपहर 02:30 बजे कारण बताने का आग्रह करता हूं कि आपको संपत्ति से बेदखली का आदेश क्यों नहीं दिया जाना चाहिए।
आप मंत्रालय के सामने व्यक्तिगत रूप से या विधिवत अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से पेश हो सकते हैं, जो मामले से जुड़े सभी सवालों के जवाब देने में सक्षम हो और सबूत के साथ रहे जाने के संदर्भ में तार्किक कारणों को पेश कर सके। यदि आप कारण बताने में विफल रहते हैं या फिर निर्धारित समय के भीतर आप उपस्थित नहीं होते हैं, तो इस संबंध में एकतरफा फैसला लिया जाएगा।
नोटिस में दी गई है यह चेतावनी
नियम कहता है कि इस केस में जिसे बंगला आवंटित हुआ वह व्यक्तिगत रूप से या विधिवत अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से इस मामले में पेश हो सकता है। अधिकारियों ने कहा कि यदि आवंटी कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं देता है या निर्धारित समय के भीतर पेश नहीं होता है, तो मामले का एकतरफा फैसला किया जा सकता है। केंद्र सरकार पूर्व मंत्रियों और पूर्व सांसदों से सरकारी बंगले खाली करवा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार के पहले ही साल 460 नेताओं से सरकारी बंगले खाली कराए गए थे।
नेताओं से बंगला खाली कराने सरकार बना चुकी है कानून
नेताओं से बंगले खाली कराने के लिए मकसद से 2019 में मोदी सरकार ने एक सख्त कानून भी बनाया था. इस कानून के मुताबिक, समय पर बंगले खाली न करने पर 10 लाख रुपये तक के जुमार्ने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा ये भी कहा गया कि नोटिस मिलने के तीन दिन बाद सरकार बंगले खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।