उज्जैन। आज शुक्रवार को श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नागपंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन नाग देवता की पूजा करना अति शुभ होता है। दरअसल नाग देवता भोलेबाबा के गले में शोभायमान होते हैं और नाग देवता की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। ऐसे में आज भोलेनाथ के भक्त शिवालयों में पहुंचकर नाग देवता का दुग्धाभिषेक कर रहे हैं। सुबह से ही शिवालयों में भीड़ दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं, विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल को नाग पंचमी परसर्पों से सजाया गया।
बाबा महाकाल अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए रात 3 बजे जागे। वीरभद्र और मानभद्र से आज्ञा लेकर सबसे पहले चांदी द्वार को खोला गया और उसके बाद घंटी बजाकर भगवान तक सूचना पहुंचाई गई कि पुजारी और अन्य लोग आपको जगाने के लिए मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं। गर्भग्रह में सबसे पहले भगवान का जलाभिषेक और पूजन दर्शन कर उनका श्रृंगार किया गया, फिर भस्म आरती की गई। मंदिर में जैसे ही भगवान के दर्शन शुरू हुए वैसे ही चारों ओर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गई।
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरु ने बताया कि श्रावण मास के शुक्रवार और शुक्ल पक्ष की पंचमी पर आज सुबह 3 बजे भगवान वीरभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। जिसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान और पंचामृत स्नान करवाने के बाद केसर युक्त जल अर्पित किया गया। आज शुक्रवार के श्रृंगार की विशेषता यह रही कि नागपंचमी के अवसर पर बाबा महाकाल का सर्पों से श्रृंगार किया गया। उन्हे फूलों की माला से सजाया गया। श्रृंगार के दौरान उनके मस्तक पर भी सर्प पहनाया गया। इसके बाद महानिवार्णी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित की गई। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गया।