तीन अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का मामला, वित्त विभाग ने वेतन भुगतान पर लगाई रोक, प्राचार्य से मांगा जवाब

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ तीन अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति पर सवालिया निशान लग गया है। स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय के वित्त विभाग ने संबंधित अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया है। साथ ही संस्था प्राचार्य से जवाब मांगा गया है।
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय परिसर में संचालित होने वाली इस विद्यालय में पठन पाठन की व्यवस्था पूरी तरह से चौपट रहती है। बच्चों के आने और जाने का समय भी निर्धारित नहीं रहता है। जबकि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को शासन से मिलने वाली सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। खास बात यह है कि विद्यालय के संचालन की पूरी जवाबदेही अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय द्वारा की जाती है। इसके बाद भी यहां पर व्यवस्था नहीं बन पा रही है। यही नहीं बच्चों के पढ़ने के लिए भी समुचित इंतजाम नहीं हो पा रहा हैं। ऐसे में पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों को सही व्यवस्थाएं नहीं मिल पाती हैं।
क्या है मामला
बताया गया है विश्वविद्यालय परिसर में पिछले 42 साल से पूर्व माध्यमिक विद्यालय संचालित है। यहां प्राचार्य के एक पद सहित 7 अन्य पद शिक्षकों के स्वीकृत है। विद्यालय प्रबंधन की माने तो यहां 5 पदों में नियमित शिक्षक अपनी सेवा दे रहे हैं। तीन पदों की पूर्ति के लिए विगत माह विज्ञापन निकाला गया था। जिसके बाद 6 आवेदन आए। जिसमें से तीन पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई। इन अतिथि शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए विवि के अधिकारियों द्वारा अपनी अनुमति देते हुए सहमति दे दी। जब नोटशीट आॅडिट विभाग पहुंची तो विभाग ने नियुक्ति पर ही सवालिया निशान लगा दिया। गौरतलब है कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति, वेतन भुगतान आदि पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा ही किया जाता है।
नहीं किया नियमों का पालन
विश्वविद्यालयीन सूत्रों की माने तो अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए भर्ती नियमों का पालन नहीं किया गया है। बल्कि सिफारिस के माध्यम से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। आॅडिट विभाग द्वारा भर्ती प्रक्रिया को सही न मानते हुए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति को ही अवैध मानते हुए अपनी कार्रवाई कर रहा है। हालांकि अतिथि शिक्षकों की नियमों के तहत की गई है या नहीं यह जांच का विषय है।