काबुल में बेपटरी हो रही जिंदगी: पेट की भूख मिटाने पाई-पाई जुटाने बेच रहे गृहस्थी का सामान
नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) में एक बार फिर तालिबानी हुकूमत (Taliban rule) होने के एक महीने होने वाले हैं। वहीं देश के लोगों का जनजीवन पटरी से उतरने लगा है। तालिबान के कब्जे के बाद कामकाज ठप (stop working) हो जाने से लोग पेट भरने के लिए मजबूर हो गए हैं। कमाई का जरिया खत्म होने के बाद लोग भूख मिटाने के लिए घर-गृहस्थी (household) का सामान बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं। काबुल (Kabul) के चमन-ए-हजूरी की सड़कों पर लोग अपनी उस पूंजी और संपत्ति को बेच रहे हैं, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत और खून पसीने की कमाई से बीते बीस वर्षों में खरीदा था।
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक ऐसा बाजार है, जहां पर लोग सड़क पर पलंग, गद्दे, तकिये ही नहीं फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन, पंखा, एसी, कूलर और किचन के सामान के साथ अन्य दैनिक जीवन से जुड़ी वस्तुएं कौड़ियों के दाम बेच रहे हैं। ताकि पैसा मिल जाए और खाना या अन्य जरूरी सामान को खरीद सकें। देश के ऐसे हालात तब हुए हैं जब विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश और अमेरिका के केन्द्रीय बैंक द्वारा जारी होने वाले फंड में कटौती कर दी गई है।
बैंक खुले तो हैं, लेकिन उनमें कैश नहीं है। ATM मशीनें खाली पड़ी हैं। लोगों ने संकट की स्थिति के लिए जो पैसा बचाकर रखा था, वो बुरे हालात में नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन लोग पेट भरने के लिए घर का सामान बेच रहे हैं। तालिबान का राज आने के बाद अफगानिस्तान में लंबे वक्त तक कैश का भी संकट रहा। लोग घंटों तक ATM या बैंक की लाइन में खड़े थे, ताकि पैसा निकाल सकें। बाजार बंद थे, ऐसे में सामान लेने या बिक्री होने में भी काफी दिक्कतें आ रही थीं।
अगले साल तक 97 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे होंगे
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने पिछले दिनों जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि वर्ष 2022 के अंत से पहले अफगानिस्तान की 97 फीसदी आबादी गरीबी रेखा (Poverty line) के नीचे चली जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस (Antonio Guterres) ने चेतावनी दी है कि विभिन्न समस्याओं के चलते अफगानिस्तान पूरी तरह विभाजित होने की कगार पर है। एक करोड़ से भी ज्यादा की आबादी को भुखमरी से बचाने के लिए समय रहते मदद जरूरी है।
अलग-अलग पाबंदियां होने से मुश्किलें
अब जब तालिबान ने अपनी सरकार बना ली है, तब कुछ हदतक कामकाज शुरू हुआ है। लेकिन अभी भी काफी मुश्किलें हैं। कहीं महिलाओं को काम नहीं करने दिया जा रहा है, तो कहीं तालिबान के लड़ाकों द्वारा अलग-अलग पाबंदियां लगाई जा रही हैं. ऐसे में लोग अपने घरों का पुराना सामान बेचकर पैसा जुटाने में लगे हैं।