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ताज्जुब है सरकार….! पीएस आबकारी क्यों बचा रही हैं सोम डिस्टलरी को

  • अवैध टैंकों को लेकर 1 अप्रैल को मिली जांच समिति की रिपोर्ट अब तक पेश नहीं की कोर्ट में

भोपाल। सोम डिस्टलरी (som distillery) के मामले में शीर्ष पर बैठे अफसरों (Officers) की कार्यप्रणाली के कारण सरकार (Government) को हाईकोर्ट (High Court) में भी नीचा देखना पड़ गया है। सोम डिस्टलरी के आबकारी विभाग (Excise Department) के नियम विरूद्ध बनाए गए स्प्रिट टेंकों (spirit tanks) के मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। आबकारी विभाग द्वारा अवैध टैंकों (illegal tanks) की जांच के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट एक अप्रैल को ही प्रमुख सचिव को सौंप दी थी। लेकिन PS आबकारी दिपाली रस्तोगी (Dipali Rastogi) ने यह रिपोर्ट हाईकोर्ट को नहीं सौंपी हैं। सोम डिस्टलरी ने कोर्ट में डिस्टलरी को अनुमति देने के मामले में याचिका दायर कर रखी है। इसकी सुनवाई 28 अप्रैल को हुई थी।

सोम ने इस मामले में आबकारी आयुक्त के खिलाफ कंटेम्पट आफ कोर्ट (Kantempt of court) का मामला दायर कर रखा है। सरकारी वकील ने इस मामले में कोर्ट से समय मांगा है लिहाजा, अब इस मामले की अगली सुनवाई सात जून को होगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब प्रमुख सचिव (principal Secretary) के पास सोम के टैंक निर्माण के वैध या अवैध होने को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट आ चुकी है तो उसे अदालत में पेश क्यों नहीं किया गया? समिति ने जांच में अपनी रिपोर्ट में सोम में निर्मित इन टैंकों को अवैध पाया है। बिना सरकारी अनुमति बने इन टैंकों को लेकर जांच समिति की रिपोर्ट यदि कोर्ट में पेश होती है तो सोम डिस्टलरी का लायसेंस नवीनीकरण (License renewal) होना संभव नहीं होगा।





उल्लेखनीय है कि विधानसभा में MLA विधायक डा.गोविंद सिंह (Dr. Govind Singh) के सवाल के जवाब में सरकार ने यह स्वीकार किया था कि सोम डिस्टलरी में स्प्रिट के नियम विरूद्ध बनाए गए टेंकों की उसने कभी अनुमति ही नहीं दी है, तब जाकर जागे आबकारी अमले को यह पता लग रहा है कि सोम का पूरा प्लांट ही अवैध तरीके से बनाया गया है। मजेदार बात यह है कि som distillery ने अपने इस आधुनिक प्लांट के लिए सरकार को कभी कोई आवेदन ही नहीं दिया। और जब प्लांट बनकर तैयार हो गया तो 2015 में एक लाख रूपए का जुर्माना करके सरकार ने उसका नियमितिकरण कर दिया। अब जब यह मामला विधानसभा (Assembly) में उठा तो पता चला है कि सोम ने प्लांट का जो नक्शा सरकार को दिया था, उसमें Spirit tank और रिसीवर टेंकों का कहीं जिक्र ही नहीं है।

सोम के इन विवादित टैंकों के मामलों में आबकारी आयुक्त (Excise Commissioner) ने मार्च में सुनवाई की थी। यह सुनवाई टैंकों को सील करने और उसके चारों और दीवार बनाने को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई थी। लेकिन विधानसभा में सरकार के जवाब के बाद मामला टैंकों की सुरक्षा और दीवार का नहीं रहा। डिस्टलरी ने अपने आधुनिकीकरण का प्रस्ताव सरकार को कथित रूप से 2011 में किया था। लेकिन जब 2015 में यह प्लांट सरकार की बिना अनुमति के ही तैयार हो गया तो 2015 में इसके नियमितिकरण की अनुमति मांगी तो सरकार को पता चला कि 2011 में तो डिस्टलरी ने सरकार को नए प्लांट के निर्माण के लिए न कोई आवेदन दिया था और न ही सरकार ने इसके निर्माण की कोई अनुमति दी थी। तब तत्कालीन आयुक्त ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई। इस कमेटी ने इस आधुनिक प्लांट का महिमामंडन ऐसा किया कि कमिश्नर ने अनुमति के बिना निर्माण पर एक लाख रूपए का जुर्माना (Penalty) लगाकर इस प्लांट को अनुमति दे दी। लेकिन 2015 में सोम ने प्लांट का जो लेआउट प्रस्तुत किया, उसमें रिसीवर टैंक और स्टोरेज टैंक का कहीं उल्लेख ही नहीं था।





टैंकों के निर्माण को लेकर बनी समिति ने जांच में पाया है कि सोम ने 2017-18 में जो नक्शा विभाग को सौंपा था, उस नक्शे में दिए गए इंडेक्स में भी कहीं टैंकों का उल्लेख नहीं है। डिस्टलरी ने 2018-19 में पहली बार अपने नक्शे में टैंकों को दिखाया है। यह वो दौर था जब प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार आ चुकी थी और som distillery अपने निर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही थी। मजेदार बात यह भी है कि इन टैंकों के गेज चार्ट डी-4 में सत्यापन अधिकारी के तौर पर प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी ऐश्वर्यपाल सिंह बुंदेला (In-charge District Excise Officer Aishwaryapal Singh Bundela) के हस्ताक्षर हैं। बुंदेला ने यहां का प्रभार 30-7-2017 को ग्रहण किया था। इससे अंदाज लगाया जा रहा है कि शायद यह टैंक बिना अनुमति के ही 2017-18 में बने हो सकते हैं। लिहाजा, जांच कमेटी ने सोम के इन टेंकों को अवैध और बिना सरकारी अनुमति के बना पाया है। ऐसे में अगर इस समिति की रिपोर्ट कोर्ट में पेश होती है तो जाहिर है कि मामला सोम के खिलाफ जाएगा। 6 अप्रैल को अदालत ने आबकारी आयुक्त को इस मामले में एक सप्ताह में सोम को लायसेंस नवीनीकरण एवं कार्य करने की अनुमति देने के निर्णय पर विचार के लिए कहा था। इसके बाद आयुक्त ने पहली 30 अप्रैल तक के लिए सोम को अनुमति दे दी थी। दूसरी बार में इसे बढ़कार 31 मई तक कर दी थी। तीसरी बार में यह अनुमति 15 जून तक कर दी लेकिन लायसेंस नवीनीकरण (License renewal) पर निर्णय फिर भी नहीं हुआ है। लिहाजा, सोम डिस्टलरी ने आबकारी आयुक्त और डिप्टी आबकारी आयुक्त भोपाल संभाग के खिलाफ कोर्ट में कन्टेम्पट आफ कोर्ट का मामला लगा दिया। अब अगर प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी 7 जून को सोम के मामले में बनी जांच समिति की रिपोर्ट कोर्ट को नहीं सौंपती हैं तो अदालत से सोम के पक्ष में एकतरफा आदेश जारी हो सकता है। लिहाजा, इस मामले में साफ लग रहा है कि सोम को आबकारी विभाग की प्रमुख सचिव का वरदहस्त हासिल हैं।

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