ग्वालियर

प्रदर्शनकारियों पर ऐसे टूटी MP पुलिस की विधायक को भी नहीं बख्शा, पढ़े क्या है पूरा मामला

परिजनों के अनुसार 25 अक्टूबर को कोटा के खातौली निवासी मृतक धर्मेंद्र पारेता (45) जालपुरा में ताश खेलने के लिए गया था। इस दौरान पुलिस ने छापा मारा और तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन धर्मेंद्र और उसके साथी वहां से भाग निकले। इस बीच धर्मेंद्र की गाड़ी वहीं छूट गई, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया।

श्योपुर। मध्यप्रदेश पुलिस की प्रताड़ना से परेशान होकर राजस्थान के कोटा जिले में रहने वाल एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। व्यक्ति द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद मृतक के परिजनों ने न्याय की मांग करते हुए शव को लेकर श्योपुर के जलालपुरा पहुंचे और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। श्योपुर और राजस्थान की सीमा में चल रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर डंडे बरसाए हैं। इतना हीं नहीं, प्रदर्शन में शामिल रहे श्योपुर के कांग्रेस विधायक बाबूलाल जंडेल को भी पुलिस ने नहीं बख्शा है। उन पर भी पुलिस ने खूब बरसाए हैं।

पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज में विधायक बाबू जंडेल बुरी तरह घायल हो गए। विधायक के अलावा प्रदर्शन में शामिल दो दर्जन लोग भी घायल हुए हैं। घायलों में महिलाएं भी शामिल हैं। लाठीचार्ज में घायल हुए कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने मेरे साथ मेरे गनर को भी पीटा है। घायल बाबू जंडेल को खाट पर लिटाकर उनका प्राथमिक उपचार किया गया। इस दौरान मौके पर तनाव की स्थिति बनी रही।

यह है पूरा मामला
परिजनों के अनुसार 25 अक्टूबर को कोटा के खातौली निवासी मृतक धर्मेंद्र पारेता (45) जालपुरा में ताश खेलने के लिए गया था। इस दौरान पुलिस ने छापा मारा और तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन धर्मेंद्र और उसके साथी वहां से भाग निकले। इस बीच धर्मेंद्र की गाड़ी वहीं छूट गई, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया। परिजनों का आरोप है कि चौकी में मौजूद एसआई श्यामवीर ने पहले तो गाड़ी छोड़ने के लिए मना किया, फिर 20 हजार रुपये देने पर गाड़ी छोड़ने की बात कही। दीपक ने रुपये नहीं होने की बात कही तो एसआई ने शराब और गांजा के केस में फंसा देने की बात कही।





परिजनों ने अनुसार 26 अक्टूबर को पुलिस ने कार से शराब बरामद होने की बात कहकर झूठा केस बना दिया। इसके बाद पीड़ित परिवार के लोग एक बार फिर थाने पहुंचे तो एसआई ने 2 लाख रुपये की मांग कर दी। परिजनों का कहना है कि झूठा केस दर्ज होने के बाद से धर्मेंद्र पारेता परेशान था। 29 अक्टूबर को धर्मेंद्र ने आत्महत्या करने की कोशिश की और हाथ की नसे काट ली। समय रहते परिजनों ने उसे अस्पताल पहुंचाया जिससे उसकी जान बच गई। बीते मंगलवार को धर्मेंद्र ने खेत पर फसलों में छिड़काव करने वाली दवा पी ली और उसकी मौत हो गई। हालांकि, रिश्वत मांगने और झूठा केस दर्ज करने को लेकर पुलिस का कहना है कि मृतक के परिजन गलत आरोप लगा रहे हैं।

श्योपुर एसपी ने किया देहात थाना प्रभारी को निलंबित
पुलिस प्रताड़ना की बात सामने आने पर श्योपुर एसपी ने तत्काल प्रभाव से देहात थाना प्रभारी विकास तोमर को निलंबित कर दिया है। एसपी आलोक कुमार का कहना है इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और जो भी दोषी निकल कर सामने आएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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