अन्य खबरेंप्रमुख खबरेंभोपालमध्यप्रदेश

अब पढ़ाई भी बंधन मुक्त, नए साल में नया फ्रेमवर्क, छात्र कभी भी पोर्ट करा सकेंगे कोर्स, कॉलेज व यूनिवर्सिटी, ले सकेंगे ब्रेक

करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम, नए साल के पहले वर्किंग डे को लॉंच, कामकाजी लोग पूरी कर सकेंगे अधूरी पढ़ाई

BHOPAL. जैसे मोबाइल यूजर्स को अपना फोन नंबर सस्ती दर पर ज्यादा सुविधा देने वाली कंपनी में पोर्ट कराने की सुविधा मिलती है, उसी तरह अब स्टूडेंट्स में भी जब चाहें तब अपनी पसंद और सुविधा के कोर्स, कॉलेज या यूनिवर्सिटी पोर्ट करा सकते हैं। यानी कॉलेज लेवल की पढ़ाई अब होगी बिल्कुल बंधन मुक्त और बोझ रहित। नए साल से देश में लागू हो रहा है नए दौर का एजुकेशन सिस्टम। सोमवार को नया फ्रेमवर्क तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद कई कोर्सेस की सूरत बदल जाएगी तो छात्रों को मिलेगी सुविधा ही सुविधा।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद ​नया फ्रेमवर्क तैयार किया है। यह नया फ्रेमवर्क देश की उच्च शिक्षा की व्यवस्था में बड़े बदलाव लेकर आ रहा है। इन बदलावों के बाद शिक्षा परिसरों का माहौल भी बदल जाएगा। शैक्षणिक सत्र 2023-24 से स्नातक प्रोग्राम की पढ़ाई का फ्रेमवर्क पूरी तरह से बदलने जा रहा है। देश के सभी विश्वविद्यालयों में चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के तहत स्नातक प्रोग्राम के लिए विषय, पाठ्यक्रम से लेकर क्रेडिट तक का खाका तैयार किया है। यूजीसी ने इसे करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम का नाम दिया है। इस प्रोग्राम के लागू होने के बाद स्टूडेंट्स को कोर एरिया की डिग्री के साथ अपने मनपसंद विषयों को चुनने की आजादी मिल जाएगी। यदि कोई छात्र किसी वजह से बीच में पढ़ाई छोड़ता है तो उसे ब्रेक के बाद आगे की पढ़ाई करने का मौका मिल सकेगा। इसके साथ ही वह चाहे तो अपने लिए सुविधाजनक विश्वविद्यालय भी चुन सकेंगे। यानी छात्रों को सब्जेक्ट से लेकर यूनिवर्सिटी तक पोर्ट कराने की सहूलियत मिल सकेगी।

ज्ञान और कौशल होगा आधार
इस नए फ्रेमवर्क का मुख्य आधार होगा ज्ञान, कौशल और क्षमता निर्माण। इस करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों के पास यह सुविधा होगी कि वे सात साल के अंदर कभी भी दोबारा अपनी आगे की पढ़ाई कर सकते हैं। यह प्रोग्राम स्कूल और उच्च शिक्षा के बीच ब्रिज का काम भी करेगा। जैसे स्कूलों में सीखने के स्तर पर रिजल्ट बनता है, उसी तरह अब उच्च शिक्षा भी लर्निंग आउटकम पर आधारित होगी। हर साल ज्ञान, कौशल और सक्षमता पर आधारित परीक्षा मूल्यांकन होगा। इसमें रोजगार से जोड़ने के लिए वोकेशनल और इंटर्नशिप को अनिवार्य किया गया है।

नए साल में नए प्रोग्राम की सौगात
यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा के लिए क्रांतिकारी माने जा रहे इस बदलाव को लागू करते हुए नए साल के पहले कार्यदिवस यानी सोमवार को करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम लाॅन्च करने जा रहा है। इसी के साथ विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों व राज्यों से भी साझा किया जाएगा।

ऐसे किया जाएगा मूल्यांकन
देशभर के विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर और च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू है। नए फ्रेमवर्क में सेमेस्टर में तो कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन सीबीसीएस में यूजीसी ने इनोवेशन और लचीलेपन के साथ बदलाव किया है। इसके तहत एक सेमेस्टर 90 दिन का होगा। नए नियमों के तहत तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में कम से कम 120 क्रेडिट और चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में 160 क्रेडिट लेने अनिवार्य होंगे। जबकि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट जरूरी रहेंगे। छात्र को हर साल कम से कम 40 क्रेडिट अर्जित करना होंगे। इसमें कॉमन कोर्स के 24 क्रेडिट तो इंट्रोडक्टरी कोर्स के 18 क्रेडिट होंगे।

अब एक भी साल नहीं होगा बेकार
इस नए प्रोग्राम की खास बात यह है कि अब किसी भी स्टूडेंट का एक भी साल खराब नहीं होगा और फाइनल में फेल होने पर उसके पूरे तीन या चार साल बर्बाद होंगे। नए प्रोग्राम में किए गए प्रावधान के तहत पहले साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल में डिप्लोमा, तीसरे में डिग्री और चौथे में ऑनर्स डिग्री व रिसर्च डिग्री मिलेगी। यदि कोई छात्र पहले वर्ष की पढ़ाई में 40 क्रेडिट और एक साल का वोकेशनल कोर्स में चार क्रेडिट लेता है तो बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद तीन साल के अंदर वो दोबारा उसी डिग्री प्रोग्राम की आगे की पढ़ाई से जुड़ सकेगा, जबकि अधिकतम सात साल के भीतर उसे दोबारा प्रवेश लेकर अपनी डिग्री पूरी करना होगी।

कामकाजी लोगों के लिए भी पढ़ाई का रास्ता
बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले नौकरीपेशा या बिजनेस कर रहे लोगों को भी इस प्रोग्राम के बाद अपनी डिग्री पूरी करने का मौका मिल सकेगा। ड्राप आउट्स कामकाजी लोगों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। प्रोग्राम लागू होने के बाद ऐसे लोगोंं को उनके कामकाज से जुड़े डिग्री प्रोग्राम से जोड़ा जा सकेगा। जैसे कोई व्यक्ति पढ़ाई छोड़कर ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल समेत दूसरे प्रोफेशनल में काम कर रहा है तो ऐसे लोगों को बीटेक या बीई जैसी तकनीकी डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका मिलेगा। ऐसे ड्राप आउट स्टूडेंट्स एक परीक्षा देकर यूजी प्रोग्राम के दूसरे वर्ष में प्रवेश ले सकेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button