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यूपी में कांग्रेस को बड़ा झटका: राहुल के खास जितिन ने हाथ छोड़ थामा भाजपा का दामन, सूबे की सियासत से चल रहे थे साइडलाइन

 ताजा खबर: नई दिल्ली। यूपी विधानसभा चुनाव (UP assembly elections) से पहले एक बार फिर दल-बदल का खेल शुरू हो गया है। भाजपा ने आज कांग्रेस (Cogress) को बड़ा झटका देते हुए यूपीए सरकार (UPA Government) में मंत्री रहे और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खासम खास जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को अपने पार्टी में शामिल कर दिया है। केन्द्रीय मंत्री पियूष गोयल (Piyush Goayal) की उपस्थिति में जितिन प्रसाद को सदस्यता दिलाई गई। यूपी की कमान प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की हाथों में जाने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन सूबे की सियासत से अलग-थलग पड़ गए थे। यही कारण रहा कि उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस को नमस्ते कर दिया है। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

बताया जा रहा है कि 2019 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के दौरान Congress को अलविदा कह कर भाजपा में शामिल होना चाहते थे, लेकिन उस समय ऐसा नहीं हो पाया था। हालांकि, यह चर्चा इतनी ज्यादा हो गई थी कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surajevala) को सामने आकर सफाई देनी पड़ी थी कि जितिन पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि, जितिन प्रसाद उसके बाद भी सामने नहीं आए थे, लेकिन अब दो साल के बाद उन्होंने आखिर कांग्रेस को छोड़कर BJP में शामिल होने का कदम उठा ही लिया।





प्रियंका गांधी के चलते जितिन साइडलाइन
जानकारों का कहना है सूबे की सियासत में जितिन प्रसाद को Congress का कद्दावर नेता माना जाता था, यूपी की सियासत में जितिन प्रसाद कांग्रेस के लिए एक बड़ा चेहरा बनकर उभर रहे थे, लेकिन जबसे यूपी की राजनीति में प्रियंका गांधी का हस्तक्षेप बढ़ा तबसे उन्हें पार्टी में वह महत्व नहीं मिलता था जैसा राहुल गांधी के समय मिला करता था। कांग्रेस के नेतृत्व वाले UPA-2 में जिस तरह से सचिन पायलट (Sachin Pilot) और ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का सियासी वर्चस्व कायम था, उसी तरह जितिन प्रसाद की तूती बोलती थी।

जितिन प्रसाद को गांधी परिवार (Gandhi family) का करीबी माना जाता था और UP के तमाम राजनीतिक फैसलों में उनका बकायदा दखल हुआ करता था। 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए राज बब्बर ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष (State President) पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद जितिन प्रसाद के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चचार्एं तेज हो गई थीं। लेकिन प्रियंका गांधी ने जितिन की जगह अजय लल्लू को पार्टी की कमान सौंप दी थी। इतना ही नहीं उन्हें यूपी फैसलों से दूर रखा जा रहा था और उनके करीबी नेताओं को भी जिला संगठन से हटा दिया गया था। कांग्रेस के इसी फैसला के बाद से जितिन प्रसाद पार्टी से नाराज चल रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें साधे रखने के लिए यूपी से बाहर बंगाल का पार्टी प्रभारी बनाकर भेज दिया था। हालांकि, बंगाल में चुनाव के बाद से कांग्रेस से उनका मोह भंग हो गया था और अपने सियासी भविष्य (political future) को देखते हुए बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली।





जितिन प्रसाद का सियासी सफर
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के राजनीतिक सलाहकार जितेन्द्र प्रसाद (Jitendra Prasad) के पुत्र जितिन प्रसाद का सियासी सफर करीब 20 वर्ष पुराना है। जितिन प्रसाद ने अपने राजनीतिक करियर (political career) की शुरूआत साल 2001 में की थी। इस दौरान वो यूथ कांग्रेस में सचिव बने थे। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में वह अपनी गृह लोकसभा सीट शाहजहांपुर से जीतकर संसद पहुंचे। साल 2008 में अखिलेश दास को हटाकर कांग्रेस हाईकमान (Congress High Command) ने पहली बार जितिन प्रसाद केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया।

इसके बाद 2009 में जितिन प्रसाद ने धौरहरा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वह 2009-11 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री रहे, इसके बाद 2011-12 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum and Natural Gas) और 2012-14 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाला, लेकिन इसके बाद से वो दोबारा चुनाव नहीं जीत सके। कांग्रेस ने जितिन प्रसाद को 2014 में धौरहरा सीट से एक बार फिर मैदान में उतारा, लेकिन जीत नहीं दर्ज कर सके। 2017 में तिलहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, लेकिन यह चुनाव भी नहीं जीते जबकि उनको तब सपा का समर्थन हासिल था। इसके बाद 2019 में धौरहरा से फिर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसके बाद प्रियंका गांधी ने जितिन प्रसाद को महत्व नहीं दिया, जिसके चलते वह नाराज चल रहे थे।

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