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राजस्थान की गर्म सियासत: सुलह कमेटी की रिपोर्ट से नाराज पायलट, मनाने में जुटा हाईकमान

ताजा खबर: जयपुर। राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में मची सियासी कलह काम होने का नाम नहीं रही है। कई महीनों से गहलोत सरकार (Gehlot Sarkar) से नाराज चल रहे प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) अब सुलह कमेटी (conciliation committee) द्वारा बनाई गई रिपोर्ट पर कड़ा ऐतराज जताया है। पायलट की बढ़ती नाराजगी को देख पार्टी हाईकमान (party high command) मनाने की कोशिश में जुट गया है। प्रियंका (Priyanka) समेत कांग्रेस के बड़े नेताओं ने उन्हें मनाने के लिए आधी रात को फोन कर समस्याओं के समाधान के लिए भरोसा दिया है।

इस बीच उनके करीबी नेताओं द्वारा बताया गया है कि सचिन पायलट इस मामले पर आज इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे और सीधे दिल्ली जाएंगे। सचिन पायलट सुबह-सुबह दौसा पहुंच गए। यहां वह अपने पिता स्व. राजेश पायलट (Rajesh Pilot) को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। उनके साथ करीब आधा दर्जन विधायक हैं। इस बीच सचिन पायलट गुट के इस्तीफा देने वाले विधायक हेमाराम चौधरी (hemaram chaudhary) देर रात जयपुर पहुंच गये हैं। वो आज विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (CP Joshi) से मिलेंगे। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा था कि व्यक्तिगत मिलने के बाद ही इस्तीफे पर फैसला होगा।

जानें क्या है पूरा मामला
देश की देश की सबसे पुरानी पार्टी इन दिनों संकट से जूझ रही है। जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़ दिया। नवोजत सिंह सिद्धू (Navojat Singh Sidhu) और सचिन पायलट (Sachin Pilot)नाराज चल रहे हैं। कांग्रेस (Congress) में मंथन और चिंतन का दौर चल रहा है। फिलहाल, सचिन पायलट मौन हैं, लेकिन उनके मौन की वजह असंतोष है। नाराजगी के पीछे वो वादे है जो पूरे नहीं हुए।





पायलट समर्थित विधायक पूछ रहे है कि पंजाब में विवाद का समाधान 10 दिन में हो गया तो राजस्थान में 10 महीनों बाद भी रास्ता क्यों नहीं मिला? कांग्रेस पार्टी के महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह (General Secretary Bhanwar Jitendra Singh) ने भी कहा कि सचिन पायलट से किए गए वादे पूरे होने चाहिए। एक तरफ कांग्रेस में मंथन जारी है तो दूसरी तरफ सचिन पायलट ने कल घर पर मीटिंग की।

बीते साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के साथ सचिन पायलट का मतभेद हुआ था। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद सचिन पायलट मान गए थे। सरकार में सचिन पायलट की भागीदारी बढ़ाने का वादा किया गया था। पायलट गुट के विधायकों को मंत्री या फिर राज्य के किसी बोर्ड में सदस्य या चेयरमैन बनाने का भी वादा किया गया था।

कलह समाप्त कराने के लिए अस्थाई समाधान तो निकल गया था लेकिन विवाद जस का तस है। पार्टी के अंदर और बाहर मतभेद और मनभेद साफ सुनाई दे रहे हैंय गहलोत सरकार के मंत्री तो यहां तक दावा कर रहे है कि सरकार को कोई खतरा नहीं। राजस्थान में सियासी खिचड़ी पक रही है लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता सबकुछ सामान्य बता रहे हैं।

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