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2 साल के रिकार्ड स्तर पर पहुंचा कच्चा तेल, बढ़ेंगे पेट्रोल डीजल के दाम

ताजा खबर: नई दिल्ली। केंद्र और राज्य सरकारों ने क्रमश एक्साइज ड्यूटी और वैट में कमी नहीं की तो पेट्रोल और डीजल के दाम (petrol and diesel) का बढ़ना तय है। कई राज्यों में पेट्रोल पहले ही 100 रुपये के पार पहुंच चुका है और डीजल भी 90 से 95 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। क्योंकि कच्चा तेल 2 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। जबकि अमेरिकी ऑयल यूएस शेल तो 3 साल के शीर्ष स्तर को छू गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत समेत दुनिया भर के बड़े तेल उपभोक्ता देशों में लॉकडाउन (lockdown) जैसी पाबंदियां हट रही हैं और औद्योगिक गतिविधियां दोबारा तेजी पकड़ने लगी हैं, लिहाजा खपत बढ़ने के संकेतों के बीच क्रूड ऑयल करीब दो साल की ऊंचाई को छू रहा है। भारत में कीमतें तय करने वाला ब्रेंट क्रूड ऑयल (brent crude oil) 73 डॉलर प्रति बैरल को छू रहा है, जो अप्रैल 2019 के बाद सबसे उच्चतम स्तर है।

आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता (Anuj Gupta) का कहना है कि भारत में ज्यादातर राज्यों ने लॉकडाउन हटा दिया है या फिर इसमें बड़ी छूट दी है, लिहाजा पेट्रोल और डीजल के दामों में और तेजी आना तय है। गुप्ता ने कहा कि गोल्डमैन सॉक्स (goldman sox) का भी अनुमान लगाया है कि कच्चा तेल इस गर्मी में 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है।





अमेरिका, यूरोप और भारत में भी कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में सड़क परिवहन और हवाई यातायात में भी तेजी आ रही है। कच्चे तेल की वैश्विक मांग प्रति दिन 15 लाख बैरल प्रति दिन तक पहुंच सकती है। यूएस एनर्जी इनफारमेशन एडमिनिस्ट्रेशन  (EIA) का कहना है कि यूएस शेल का उत्पादन बढ़कर 78 लाख बैरल प्रति दिन तक पहुंच सकता है।

कृषि कार्यों में बढ़ेगी डीजल की खपत
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में मानसून पूरे देश में छाने के बाद कृषि कार्यों में डीजल की खपत बढ़ेगी। वहीं औद्योगिक गतिविधियों में पाबंदी हटने का भी असर दिखेगा। कार्यालय खुलने और सड़क परिवहन में तेजी से भी पेट्रोल की मांग भी और बढ़ने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने अनुमान लगाया है कि देश में तेल की मांग 2022 के अंत तक कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर पर पहुंच जाएगी। तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक (OPEC ) ने भी अपने उत्पादन स्तर में तेजी लाने के संकेत दिए हैं।

तेल का उत्पादन बढ़ने से आएगी कीमतों में कमी
विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे तेल में मौजूदा तेजी ईरान से तेल उत्पादन बढ़ने की संभावनाएं कमजोर पड़ने से है, क्योंकि अमेरिका के साथ उसके परमाणु समझौते की बहाली में अभी और देरी हो सकती है। अगर अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के साथ ओबामा शासनकाल में हुई न्यूक्लियर डील बहाल हो जाती है तो ईरान पूरी ताकत से उत्पादन बढ़ेगा। दुनिया में तेल का उत्पादन बढ़ेगा तो कीमतों में कमी आना स्वाभाविक है।

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