मध्यप्रदेश

मर्यादा पुरूषोत्तम की तपोस्थली का मामला: मूर्तरूप नहीं ले सके पहले गौरव दिवस के संकल्प, जिम्मेदार मौन

धर्मनगरी चित्रकूट से प्रवाहित होने वाली जिस पवित्र मंदाकिनी नदी में श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने पहुंचते हैं, उस परम पुण्य सलिला मंदाकिनी में ‘प्राणवायु’(आक्सीजन) का स्तर तेजी से घट रहा है? इसका बड़ा कारण प्रदूषण है।

चित्रकूट। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में आज आज रामनवमी पर एक बार पुन: पूरी भव्यता के साथ गौरव दिवस मनाने की तैयारी है। 11 लाख दीपक जलाने का संकल्प लिया गया है। शिवराज सरकार ने क्षेत्रीय संस्कृति व धर्म को प्रतिष्ठित करने तथा क्षेत्रीय विकास को गति प्रदान करने की मंशा से पिछले वर्ष से इस आयोजन का शुभारंभ किया था, जिसमे ंस्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आकर दीप प्रज्जवलन किया था। अब जब एक बार पुन: भव्यपूर्ण आयोजन की तैयारी की गई है तब यह सवाल अहम हो जाता है कि गौरव दिवस मनाए जाने का उद्देश्य क्या सचमुच पूरा हो रहा है?

निश्चित तौर पर स्वतंत्रता संग्राम की 75वीं जयंती के अमृतकाल में शिवराज सरकार की यह योजना सराहनीय है लेकिन जमीनी स्तर पर इस दिवस के संकल्पों के पूरा न होने से गौरव दिवस के आयोजन की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण गौरव दिवस पर लिए गए सीएम के संकल्प को अफसरों द्वारा जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन न करा पाना है। गत वर्ष गौरव दिवस पर लिए गए संकल्पों को अमली जामा पहनाने में जिला प्रशासन द्वारा रूचि न दिखाए जाने के कारण गौरव दिवस के आयोजन और औचित्य दोनो पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

मंदाकिनी नदी तेजी से घट रहा आक्सीजन का स्तर
धर्मनगरी चित्रकूट से प्रवाहित होने वाली जिस पवित्र मंदाकिनी नदी में श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने पहुंचते हैं, उस परम पुण्य सलिला मंदाकिनी में ‘प्राणवायु’(आक्सीजन) का स्तर तेजी से घट रहा है? इसका बड़ा कारण प्रदूषण है। दरअसल मप्र-उप्र की सीमा के बीच प्रवाहित होने वाली जिस परम पुण्य सलिला मंदाकिनी में रामायण काल में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम डुबकी लगाते थे और जहां मौजूदा समय पर देश के करोड़ों हिंदू आस्था से वशीभूत होकर पहुंचते हैं, वह पवित्र नदी तेजी से प्रदूषित हो रही है।

6 साल बाद भी पूरा नहीं कराया जा सका सीवरेज प्लांट का काम
इस मामले में प्रशासनिक उदासीनता का आलम यह है कि वर्ष 2017 मे मंदाकिनी को सदानीरा बनाने के लिए 28 करोड़ 87 लाख 61 हजार रुपए का सीवर प्रोजेक्ट प्रारंभ किया गया था जो अब तक पूरा नहीं हो सका है, नतीजतन समूचे चित्रकूट की गंदगी मंदाकिनी व उसमें रहने वाले जलीय जंतुओं को लील रही है। चित्रकूट नगर को पूरी तरह से सीवेज लाइन से जोड़ने की यह परियोजना 6 साल बीतने के बाद भी अधूरी है । यही कारण है कि कई जगहों पर मन्दाकिनी में नगर की गंदगी सीधे घुल रही है। । इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के तमाम दिशा निर्देश भी पनाह मांग रहे है। संत समाज भी मंदाकिनी के साथ हो रहे छल से आहत है ।

संत समाज भी सुस्त विकास पर दिखा चुका नाराजगी
भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट को विकसित करने मिनी स्मार्ट सिटी योजना में भी सम्मिलित किया गया है बावजूद इसके चित्रकूट को अब तक स्मार्ट नहीं बनाया जा सका है। हालात यह हैं कि पिछली घोषणाओं के अधिकांश काम फाइलों से बाहर नहीं आ सके हैं। हालंकि नगर पंचायत ने एक कदम आगे बढ़ाकर कुछ कामों को अमली जामा पहनाया है लेकिन जिन कामों का को पूरा कराने का जिम्मा दूसरे विभागों पर था वे काम अभी शुरू ही नहीं हो सके हैं। विगत दिवस गौरव दिवस के आयोजन को लेकर आयोजित हुई बैठक में चित्रकूट के जिम्मेदार नागरिकों व संत समाज ने आपत्ति भी जताई थी कि यहां केवल घोषणाएं होती हैं लेकिन उनको अमली जामा नहीं पहनाया जाता ।

गौरव दिवस न मनाने की दे चुके हैं चेतावनी
इस दौरान उन्होने यह चेतावनी भी दी कि यदि चित्रकूट के संकल्पों को पूरा नहीं किया जाता तो अगली बार गौरव दिवस नहीं मनाएंगे। जाहिर है कि सरकार की मंशा तो चित्रकूट को विकसित करने की है लेकिन जिन अधिकारियों पर चित्रकूट को विकसित करने का जिम्मा है वे रूचि नहीं ले रहे हैं। विकास कार्यों के प्रति अफसरों की यह उदासीनता भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर ठीक उसी तरह गृहण लगा सकती है जिस प्रकार से रैगांव उप चुनाव में सत्तासीन दल को हार का सामना करना पड़ा था।

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