ताजा खबर: एमपी में 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द, सीएम शिवराज ने लिया बड़ा फैसला
सीएम ने कहा बच्चों की जिंदगी हमारे लिए अनमोल है, कैरियर की चिंता बाद में करेंगे
ताजा खबर: भोपाल। मध्य प्रदेश में 12वीं बोर्ड (Board) की परीक्षा रद्द (canceled ) कर दी गई है। यह फैसला बुधवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने लिया है। उन्होंने कहा कि मप्र में 12वीं बोर्ड की परीक्षा इस वर्ष आयोजित नहीं किए जाएंगे। बच्चों की जिंदगी हमारे लिए अनमोल है। कैरियर की चिंता हम बाद में करेंगे। इस समय बच्चों पर जब वे कोरोना का संकट झेल रहे हैं। पूरा देश और प्रदेश झेल रहा है। परीक्षाओं मानसिक बोझ डालना कतई उचित नहीं है।
सीएम शिवराज ने कहा बारहवीं बोर्ड के रिजल्ट किस प्रकार आगे आएंगे यह तय करने के लिए हमने अपने मंत्रियों का एक समूह बना दिया है। जो विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद आंतरिक मूल्यांकन व अन्य आधारों का विचार करके रिजल्ट का तरीका तय करेगा। सीएम ने यह भी बताया कि 10वीं बोर्ड की परीक्षाएं हमने पहले ही न कराने का फैसला लिया था। दसवीं के बच्चों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परिणाम घोषित किया जाएगा।
बता दें कि एक दिन केंद्र सरकार ने मंगलवार को सीबीएसई (CBSE) और आईसीएसई (ICSB) बोर्ड की 12वीं की परीक्षा रद्द कर दिया था। केंद्र का फैसला आने के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा के बाद आज ही इस पर फैसला लिया जाना है। और दोपहर को इस पर फैसला आ गया।
12वीं की प्रैक्टिकल परीक्षाएं भी अटकी
स्कूल शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार का कहना है कि सीबीएसई बोर्ड परीक्षार्थियों की प्रैक्टिकल परीक्षाएं पहले ही आयोजित करा चुका था। मध्यप्रदेश में एमपी बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षाएं अब तक आयोजित नहीं हुई है, लिहाजा तकनीकी रूप से अध्ययन कराने के बाद ही परीक्षाएं और प्रैक्टिकल परीक्षाओं को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
अभिभावकों ने मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री से की थी मांग
एमपी बोर्ड के परीक्षार्थियों के पेरेंट्स ने मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री से मांग की थी कि थी कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की तरह ही एमपी बोर्ड की परीक्षाएं भी रद्द की जाए। अगर सरकार परीक्षाएं लेने की तैयारी कर रही है तो केवल मुख्य दो से तीन विषयों की ही परीक्षाएं कराई जाए। परीक्षाओं में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की ही होगी।