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औसत दर्जे का न होना कोई बुराई नहीं, कुन्नूर हादसे में घायल ग्रुप कैप्टन की लिखा खत सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

नई दिल्ली। तमिलनाडु के कुन्नूर (Coonoor of Tamil Nadu) में हुए हेलीकॉप्टर हादसे (helicopter crash) में एकमात्र बचे जवान ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Group Captain Varun Singh) अपनी जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं। उन्हें बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल (Military Hospital in Bangalore) में भर्ती कराया गया है। इस बीच उनके द्वारा अपने स्कूल के नाम लिखा खत (letter) सोशल मीडिया (social media) पर तेजी से वायरल हो रहा है। शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) मिलने के बाद बीते सितंबर में ही वरुण सिंह ने हरियाणा के चंडीमंदिर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल (Army Public School at Chandimandir, Haryana) के प्रिंसिपल (principal) को 18 सितंबर, 2021 को एक पत्र लिखा था।

इस पत्र में वरुण सिंह ने छात्रों को संबोधित (addressed to students) करते हुए प्रेरणा देने वाली कई बातें लिखी थीं। इस पत्र में छात्रों के नाम संदेश में वरुण सिंह ने कहा था कि औसत दर्जे (mediocre) का होने में कोई भी बुराई नहीं है। सभी छात्र 90 प्रतिशत अंक नहीं ला सकते। हां, यह जरूर है कि जो ऐसा कर पाते हैं, उनकी सराहना होनी चाहिए। उन्होंने आगे लिखा था, ‘अगर ऐसा नहीं होता है तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे के हैं। ‘आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं लेकिन यह जीवन में आने वाली चीजों का कोई पैमाना नहीं है।

उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए लिखा- अपनी हॉबी ढूंढें, यह कला, संगीत, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य इत्यादि हो सकता है। आप जो भी काम करते हैं, समर्पित रहें, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। यह सोचकर कभी बिस्तर पर मत जाओ कि मैं और प्रयास कर सकता था। वह लिखते हैं, ‘कैसे एक युवा कैडेट (young cadet) के रूप में उनमें आत्मविश्वास की कमी थी। एक लड़ाकू स्क्वाड्रन में एक युवा फ्लाइट लेफ्टिनेंट (young flight lieutenant) के रूप में कमीशन के बाद मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं अपना दिमाग और दिल लगा दूं तो मैं अच्छा कर सकता हूं।





तब से मैंने उस सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए काम करना शुरू कर दिया, जो मैं केवल यह सुनिश्चित करने के विरोध में कर सकता था कि मैं ‘पास’ होने के लिए जरूरी मानक हासिल कर सकता हूं। पत्र में उन्होंने आगे लिखा है, ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में एक कैडेट के रूप में उन्होंने पढ़ाई या खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं किया। जब मैं एएफए पहुंचा तो मुझे एहसास हुआ कि विमानों के लिए मेरे जुनून ने मुझे अपने साथियों पर बढ़त दी है। फिर भी, मुझे अपनी वास्तविक क्षमताओं पर भरोसा नहीं था।

उन्होंने छात्रों को बताया कि वह स्वयं भी एक औसत छात्र ही थे और बहुत मशक्कत से उन्हें 12वीं में प्रथम श्रेणी के अंक मिले थे। उन्हें एविएशन का क्षेत्र पसंद था और आज एक ऐसा समय आया है, जब उन्हें राष्ट्रपति की ओर से शौर्य चक्र से सम्मानित किया जा रहा है। वरुण सिंह ने यह पत्र 18 सितंबर 2021 को लिखा था।

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