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यूपी के फिरोजाबाद में डेंगू-वायरल का कहर: अस्पतालों में नहीं जगह, पलायन को मजबूर लोग

फिरोजाबाद। उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के फिरोजाबाद (Firozabad) जिले में वायरल फीवर और डेंगू (Viral Fever and Dengue) ने कहर बरपा दिया दिया है जिसके कारण लोग दहशत में आ गए हैं। इस जिले में स्थिति ऐसी निर्मित हो गई है कि लोग अब पलायन (Getaway) को मजबूर हो गए हैं। सरकारी अस्पतालों की हालात ऐसी हो गई है कि मरीजों को जगह भी नसीब नहीं हो रही है। तो वहीं गांवों के मजबूर लोग मजबूर होकर आसपास के झोलाछाप डॉक्टरों (quacks doctors) से इलाज कराना शुरू कर दिया है। जिले में तीन दिनों के दौरान अब तक 80 मरीजों की मौत हो चुकी है, इनमें 70 फीसदी बच्चे शामिल हैं। हालांकि सरकार आंकड़ा 50 से भी कम मौतों की पुष्टि कर रहा है।

जिले के मजबूर लोग अपने बच्चों को दूसरे जिलों में रिश्तेदारों के घर छोड़ने जा रहे हैं। लगातार मौतों और प्रशासनिक लापरवाही (administrative negligence) के चलते सुहागनगरी के लोग बेबस है। स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल (poor health services) है। साफ-सफाई की स्थिति भी बिगड़ी हुई है। बच्चों की मौत से आहत लोगों ने अब जिले से पलायन का मन बना लिया है। अपने बच्चों को बीमारी से बचाए रखने के लिए वे आगरा, मथुरा, एटा, मैनपुरी व अन्य जिलों की ओर रुख कर रहे हैं। पत्नी व बच्चों को ननिहाल छोड़ने जा रहे हैं।

जिले के झलकारी नगर इलाके (Jhalkari Nagar Localities) में कई परिवार ऐसे हैं जो अपने घरों में ही इस वक्त बच्चों का इलाज कर रहे हैं। यहां के रहने वाले राजीव कुमार के बेटे वैभव को पिछले कई दिनों से बुखार आ रहा था। बाद में टेस्ट करवाने पर वह डेंगू पॉजिटिव (dengue positive) निकला। इसके बाद राजीव ने अपने बेटे का घर में ही इलाज करवाना शुरू किया।

राजीव का कहना है कि अस्पताल में जगह नहीं होने की वजह से जो स्थानीय डॉक्टर हैं, उनकी सलाह पर ही घर में इलाज करवा रहे हैं। दवाई और ग्लूकोस ड्रिप बच्चे को घर पर ही चढ़या जा रहा है। उन्होंने कहा, बच्चे को पिछले कई दिनों से बुखार था, उल्टियां भी हो रही थीं। उसके बाद जांच कराई गई तो पता चला डेंगू है, लेकिन अब लोग घरों में अपने बच्चे का इलाज करने के लिए मजबूर हैं। बता दें कि वैभव की उम्र करीब 12 साल है।





इलाके में फैली है गंदगी
वहीं, झलकारी नगर फिरोजाबाद में पुष्पा देवी और उनके परिवार की बेटी की मौत डेंगू और प्लेटलेट्स डाउन (platelets down) होने की वजह से हो गई। परिवार वाले यह कह रहे हैं कि जब अस्पताल लेकर के गए तो वहां पर लापरवाही हुई। हालांकि सरकार ने डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की है, पर जिस तरीके से लोग अपने घरों में बच्चों का इलाज कर रहे हैं ऐसे में यह काफी खतरनाक है।

वहीं जिले की नगला अमान की गलियां सूनी पड़ी हैं। चौपाल पर इक्का-दुक्का लोग बैठे हैं। जिस नीम के पेड़ के नीचे ठहाके लगते थे, आज मातम पसरा हुआ है। घरों के आंगन सूने पड़े हैं। घरों में बच्चों की किलकारियां नहीं, उनकी दर्द भरी आहें सुनाई दे रही हैं। उन्हें ग्लूकोज की बोतलें चढ़ रही हैं। नन्हीं सी जानों के जिस्म को सुइयों ने घायल कर दिया है। यह वही गांव है, जहां डेंगू से पहली मौत हुई थी। इसके बाद इस जानलेवा बीमारी ने पूरे जिले को अपनी चपेट में ले लिया।

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