ताज़ा ख़बर

संत नहीं पापी थीं मदर टेरेसा! ये कारनामे पढ़कर कांप उठेंगे आप

लंदन। सेवा के क्षेत्र में दुनिया-भर में नाम कमाने वाली नोबल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा (Noble Prize Winner Mother Teresa) का एक ऐसा चेहरा भी सामने आया है, जो उनकी घोर नकारात्मक तस्वीर प्रस्तुत करता  है। मदर टेरेसा ने गरीबों और बीमारों की मदद के नाम पर भारत के अरबों रुपये विदेश में भेज दिए। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने साथ काम करने वाली ननो को विवश किया कि वे खुद को कोड़े मारें। मदर टेरेसा ने विदेश में एक ऐसे पादरी को भी बचाने में साथ दिया, जिस पर असंख्य बच्चों के साथ बलात्कार करने का आरोप था।
ये सनसनीखेज खुलासे एक ब्रिटिश  डॉक्यूमेंट्री ‘मदर टेरेसा: फॉर दि लव ऑफ़ गॉड'(British Documentary Mother Teresa:for the love of God) में किए गए हैं। इसमें जो सनसनीखेज बातें सामने आयी हैं, उसके बाद डॉक्यूमेंट्री में यह सवाल भी उठाया गया है कि मदर टेरेसा वाकई एक संत थी या फिर पापिन? तीन सीरीज वाली इस डॉक्यूमेंट्री में मदर टेरेसा को नजदीक से जानने वालों से बातचीत के आधार पर इस महिला के कई खौफनाक पहलुओं के सामने आने का दावा किया गया है ।
मैसिडोनिया के अल्बिनियाई परिवार में जन्मीं मदर टेरेसा का असली नाम आन्येज़े गोंजा बोयाजियू (Agnes Gonxha Bojaxhiu) था। वह 19 वर्ष की उम्र में भारत में कलकत्ता (Calcutta) (अब कोलकाता) (Kolkata) में पढ़ाई करने आयी थीं। दावा किया जाता है कि  यहीं उन्हें ईश्वर ने पीड़ितों की सेवा करने का सन्देश दिया। बाद में मदर टेरेसा ने भारत की नागरिकता ले ली और फिर यहीं बस गयीं। वर्ष 1997 में उनका निधन हुआ था। उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न भी प्रदान किया गया था।
लेकिन अब ‘मदर टेरेसा: फॉर दि लव ऑफ़ गॉड’ में आन्येज़े गोंजा बोयाजियू का जो चेहरा सामने आया है, वह हतप्रभ कर देने वाला है।
ब्रिटिश डॉक्टर जैक प्रेगर ने मदर टेरेसा के साथ काम किया था। डॉक्यूमेंट्री में वह बताते हैं, ‘ कलकत्ता में मदर टेरेसा के आश्रम मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी की ननें वहाँ के मरीजों की बिलकुल भी ठीक से सेवा नहीं करती थीं। एक ही सिरींज को स्टरलाइज किये बगैर कई-कई मरीजों के शरीर में इस्तेमाल कर दिया जाता था।’ प्रेगर बताते हैं, ‘वहां भर्ती की गयी एक महिला बुरी तरह से जल चुकी थी, लेकिन मिशन के अस्पताल में उसे दर्द की दवाई देने से साफ़ मना कर दिया गया। तब मैंने चोरी-छिपे अपनी तरफ से  उस महिला के लिए दवाओं का इंतज़ाम किया था।’ इस विषय में प्रेगर से वहाँ के स्टाफ का कहना था कि वह मरीजों को इलाज या दवा देने की बजाय प्रार्थना से ठीक करने में यकीन रखते हैं।
डॉक्यूमेंट्री में यह दावा भी किया गया है कि मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी को मदर टेरेसा की अपील पर करोड़ों रुपये का दान मिलता रहा, लेकिन इस रकम का इस्तेमाल मरीजों के लिए करने की बजाय उसे वेटिकन सिटी (Vatican City) भेज दिया गया। उल्लेखनीय है कि वेटिकन सिटी ईसाई पन्थ के प्रमुख साम्प्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च (Roman Catholic Church) का केन्द्र है और इस सम्प्रदाय के सर्वोच्च पन्थगुरु पोप का यही निवास है।
मदर टेरेसा के साथ करीब बीस साल तक काम करने वाली मैरी जॉनसन ने डॉक्यूमेंट्री में कहा, ‘मदर टेरेसा की आध्यात्मिकता सूली पर लटके हुए जीसस के लिए थी। इसीलिए वह मानती थीं कि दुःख के साथ तकलीफ की मानव जीवन के लिए बहुत बड़ी आवश्यकता है।’ इस बात की पुष्टि के सन्दर्भ में डाक्यूमेंट्री में यह भी बताया गया है कि मिशन ऑफ़ चैरिटी में कार्यरत ननों को आदेश था कि वह तकलीफ सहने के लिए स्वयं को कोड़े मारें और ऐसा क्रॉस पहनें, जिसमें चेन के ऊपर कांटे लगे हुए हों। डॉक्यूमेंट्री में यह खुलासा भी हुआ है कि मदर टेरेसा की गरीब और पीड़ितों की मदद की बजाय उनकी इस हालत को कायम रखने में अधिक रूचि थी और वह मानती थीं कि इन लोगों को भी जीसस की भांति पीड़ा होना चाहिए ।
आख़िरी दिनों में किया ऐसा काम भी
मैरी जॉनसन ने बताया है कि मदर टेरेसा के जीवन के आख़िरी दिनों में चर्च ने मदर टेरेसा से कहा कि वह इस कई पादरियों पर लगातार लग रहे बच्चों के यौन शोषण के आरोपों से चर्च के बचाव में मदद करें। ऐसे ही लोगों में शामिल थे, डोनाल्ड मैकगायर ( Donald McGuire )। उन पर बच्चों के यौन शोषण का आरोप साबित हुआ था, लेकिन मदर टेरेसा ने चर्च के सक्षम लोगों को पत्र लिखकर मैकगायर के पक्ष में बात रखी तथा इस पादरी के ऊपर पूरा विश्वास जताया था।

हालाँकि कोर्ट ने इस पादरी को दोषी पाकर 25 साल की सजा सुनाई थी और जेल में ही उसकी मौत हो गयी थी ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button