मध्यप्रदेश

जनजातीय नायकों की वीथिका का लोकार्पण कर बोले शिवराज: जनजातियों को अधिकार संपन्न बनाने में नहीं छोड़ेंगे कोई कसर

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने रविवार को जनजातीय संग्रहालय (Tribal Museum) में जनजातीय नायकों की नवनिर्मित वीथिका का लोकार्पण (Inauguration of newly constructed gallery of tribal heroes) किया और उसके बाद जनजातीय कला समुदाय (tribal art community) के साथ संवाद भी किया। इस दौरान शिवराज ने कहा कि जनजातीय भाई-बहनों (Tribal Siblings) को अधिकार संपन्न बनाने और उनके विकास में राज्य सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। जनजातीय कला और संस्कृति के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए प्रतिवर्ष राजा संग्राम शाह पुरस्कार (Raja Sangram Shah Award) प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार में पांच लाख रुपये की राशि (five lakh rupees) प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजा संग्राम शाह ने जनजातीय समुदाय के 52 गढ़ों पर शासन किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने जनजातीय कलाकारों का भोपाल में स्वागत करते हुए कहा कि भोपाल और मध्यप्रदेश आज जनजातीय रंग में रंगा है। हमारी संस्कृति, कला, नृत्य परंपराएँ अद्भुत हैं। जनजातीय समाज (tribal society) अपने आनंद और मस्ती में जीवन को जीता है, यह इस समाज की विशेषता है। आप लोग भोपाल जनजातीय गौरव दिवस पर आए हैं। जनजातीय गौरव दिवस का अर्थ है हम योद्धा भी हैं। जनजातीय वीरों ने भारत माता के पैरों से गुलामी की बेड़ियाँ काटने के लिए अपने खून की अंतिम बूंद तक अर्पित की है। बिरसा भगवान (Birsa Bhagwan), टंट्या मामा (Tantya Mama), राजा रघुनाथ शाह-शंकर शाह (Raja Raghunath Shah – Shankar Shah), भीमा नायक (Bhima Nayak) जैसे अनेक योद्धाओं ने अंग्रेजों को ललकारा। जनजातीय वीरों का अंग्रेजों के मन में भय रहा। हमारी विरासत वीरता और बलिदान से भरी है। राजा संग्राम शाह, दलपत शाह, रानी दुर्गावती और भोपाल की रानी कमलापति का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि छिंदवाड़ा में बने विश्वविद्यालय का नाम शंकर शाह-रघुनाथ शाह विश्वविद्यालय रखा गया है। हमारे जितने जनजातीय योद्धा हैं, उनके स्मारक स्थापित किए जा रहे हैं। टंट्या मामा का खंडवा जिले में, भीमा नायक का बड़वानी जिले में स्मारक स्थापित किया गया है। रघुनाथ शाह-शंकर शाह के नाम पर जबलपुर में स्मारक की स्थापना हो रही है। छिंदवाड़ा में जनजातीय संग्रहालय बन रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भोपाल में बने जनजातीय संग्रहालय में जनजातीय समुदाय की सभी परंपराओं, संस्कृति को सजा-संवार कर रखा गया है।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस जनजातीय भाई-बहनों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण का अभियान है। यह दिन मील का पत्थर सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि राज्य शासन द्वारा सड़क, पानी, बिजली से लेकर बाकी सभी व्यवस्थाओं के साथ रोटी, कपड़ा, मकान, दवाई, पढ़ाई-लिखाई और रोजगार का इंतजाम करते हुए जनजातीय समाज के आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जनजातीय भाई-बहन प्रदेश के विकास में बराबर के भागीदार हैं।

मुख्यमंत्री चौहान ने जनजातीय भाई-बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि यह धरती, प्रदेश, देश आपका है, जल, जमीन, जंगल आपके हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि समाज के भाई-बहन, बेटे-बेटियाँ पढ़ेंगे-बढ़ेंगे इसके लिए अनेक योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। जनजातीय विकास खंडों में राशन का विषय हो या बच्चों की पढ़ाई-लिखाई सभी व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने जनजातीय विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि उत्सव के रंग में रंगने के साथ पढ़ाई पर भी ध्यान दें। वे पढ़ेंगे आगे बढ़ेंगे तो उनकी फीस भरवाने की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संपूर्ण क्षेत्र गोंडवाना था। गिन्नौरगढ़ से लेकर गढ़ा मंडला तक गोंडों का राज्य था। जनजातीय समुदाय के 52 गढ़ हुआ करते थे। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि गिन्नौरगढ़ में निजाम शाह राज करते थे। उनकी पत्नी का नाम था कमलापति। बाहरी सेनापति दोस्त मोहम्मद ने छल और कपट से यह क्षेत्र जीता। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि रानी कमलापति जल प्रबंधन में निपुण थी, उन्होंने कई बावड़ियाँ, पार्क, मंदिर, तालाब आदि का निर्माण कराया था। वह जनता की समस्याओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील थी। रानी के बेटे नवल शाह ने 14 साल की उम्र में लालघाटी पर लड़ाई लड़ी थी। जब नवल शाह हार गए, युद्ध में मारे गए और रानी को यह विचार आ गया कि अब जीत नहीं सकते, तो उन्होंने अपने सम्मान की रक्षा के लिए छोटे तालाब में जल समाधि ले ली। रानी कमलापति द्वारा जल जौहर किया गया।

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