कल शनिवार को सपा कार्यालय में विधायक दल की बैठक हुई थी, जिसमें अखिलेश यादव को नेता प्रतिपक्ष का नेता चुना गया था। लेकिन खास बात यह रही की इस बैठक में अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल को नहीं बुलाया।
लखनऊ। मुलायम सिंह यादव के कुनबे में एक बार फिर जंग के आसार बढ़ गए हैं। सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज हो गए हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख व सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने एक बार फिर बगावती तेवर दिखाए हैं। बता दें कि कल शनिवार को सपा कार्यालय में विधायक दल की बैठक हुई थी, जिसमें अखिलेश यादव को नेता प्रतिपक्ष का नेता चुना गया था। लेकिन खास बात यह रही की इस बैठक में अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल को नहीं बुलाया।
इसके बाद शिवपाल ने कहा था कि वह 2 दिन से बैठक का इंतजार रहे थे। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए रामायण और महाभारत के चरित्रों का उदाहरण दिया। साथ ही कहा कि हमें हनुमान की भूमिका याद रखनी चाहिए, क्योंकि उन्हीं की वजह से राम युद्ध जीत सके थे। शिवपाल के इस बयान के बाद सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने कहा है कि यह बैठक सपा की थी। इसमें हमारे सहयोगी दल प्रसपा, रालोद, जनवादी पार्टी, महान दल, सुभासपा किसी को नहीं बुलाया गया। सहयोगी दलों के साथ 28 को बैठक है। उसी में शिवपाल यादव समेत सभी सहयोगियों को बुलाया जाएगा।
बता दें कि शिवपाल यादव इटावा में भागवत कथा में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि भगवान राम का राजतिलक होने वाला था, लेकिन उनको वनवास जाना पड़ा। इतना ही नहीं हनुमान जी की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण थी। क्योंकि अगर वह नहीं होते, तो राम युद्ध नहीं जीत पाते। ये भी याद रखें कि हनुमान ही थे, जिन्होंने लक्ष्मण की जान बचाई।
बाद में शिवपाल ने कहा है कि उन्हें विधायक दल की बैठक में क्यों नहीं बुलाया गया? इसका जवाब राष्ट्रीय नेतृत्व ही दे सकता है। सभी विधायकों को फोन गया लेकिन उन्हें फोन नहीं किया गया। मैंने बैठक में शामिल होने के लिए अपने सारे कार्यक्रम रद कर दिए थे। मैं सपा में सक्रिय हूं। विधायक हूं फिर भी नहीं बुलाया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी की हार की समीक्षा हो।
भारी मन से एक सीट पर किया था समझौता
चुनाव में 100 सीटें मांग रहे शिवपाल यादव ने भारी मन से केवल एक सीट पर समझौता कर लिया। उनकी पार्टी तीन-तेरह होने के कगार पर है। पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता रघुराज शाक्य, शिवकुमार बेरिया, शादाब फातिमा पार्टी छोड़कर इधर-उधर चले गए। शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव को सियासत में अब तक स्थापित नहीं करा पाए। सपा से उन्हें न वह 2017 में टिकट नहीं दिला पाए और न हीं 2022 में…।