आरोपी के खिलाफ 2015 में 50 हजार का इनाम घोषित किया गया था। उसके पास से बृजमोहन दास पुत्र राम बालक दास के नाम का फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड भी बरामद हुआ है। गिरफ्तारी के बाद उसने बताया कि वह लालाराम गैंग का सक्रिय सदस्य था।
रीवा। चित्रकूट (Chitrakoot) मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की आध्यात्मिक नगरी मानी जाती है, लेकिन कुछ सालों से चित्रकूट का नाम अपराधियों को शरण देने वाली नगरी में शामिल होता जा रहा है। इस बीच पुलिस ने चित्रकूट से महात्मा के वेश में फरारी काट रहे कुख्यात अपराधी (notorious criminal) को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने यह गिरफ्तारी मुखबिर की सूचना के आधार पर की है। यह लालाराम गैंग (lalaram gang) का मुख्य सदस्य था। पकड़े गए अपराधी का नाम छेदा सिंह (Chheda Singh) उर्फ छिद्दा है जो फूलनदेवी (Phoolan Devi) के अपहरण में भी शामिल था। यह बीते 24 साल से फरार चल रहा था। इस पर 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित था।
फर्जी आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बरामद
जानकारी के अनुसार औरैया जनपद की पुलिस ने छेदा सिंह उर्फ छिद्दा निवासी भासौन को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के खिलाफ 2015 में 50 हजार का इनाम घोषित किया गया था। उसके पास से बृजमोहन दास पुत्र राम बालक दास के नाम का फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड भी बरामद हुआ है। गिरफ्तारी के बाद उसने बताया कि वह लालाराम गैंग का सक्रिय सदस्य था। इस गैंग के साथ में मिलकर उसने फिरौती के लिए दर्जनों अपहरण और लूट की घटनाओं को अंजाम दिया। इस बीच 1998 में उसने अयाना क्षेत्र के जसवंतपुर गांव के 4 लोगों का अपहरण किया था। इसमें से कुछ लोगों को फिरौती के बाद छोड़ा गया।
एमपी यूपी में दर्ज है अपराध
पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपी छेदा सिंह लालाराम गैंग का हाईकोर मेंम्बर था और 24 साल पहले फरार हो गया था। पुलिस उसकी तलाश तो कर रही थी लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही थी क्योंकि आरोपी ने अपना पूरा हुलिया ही बदल लिया था और महात्मा मंडली में शामिल हो गया। आरोपी के खिलाफ मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के कई थानों में अपराध दर्ज हैं। यूपी में जालौन कानपुर देहांत और औरैया थाना में दर्जनों फिरौती व लूट जैसे जघन्य अपराध दर्ज है।
घर से भाग कर बना डाकू
छिद्दा सिंह के बारे में बताया जाता है कि जब वो 20 साल का था तब वो घर से भाग गया था। इस दौरान उसने चंबल में उस वक्त के खूंखार डकैत लालाराम का गिरोह ज्वाइन कर लिया। जल्दी ही उसने लालाराम के साथ मिलकर चंबल में अपहरण उद्योग का बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया। साल 1998 में किडनैपिंग के ही एक मामले में पुलिस के साथ उसकी एक मुठभेड़ हुई और फिर इसी के बाद से वो लगातार फरार चल रहा था। इस बीच इधर छिद्दा सिंह के भाई ने फर्जी दस्तावेज दिखाकर उसे मृत घोषित कर दिया और उसकी जमीन हथिया ली। हालांकि, पुलिस उसे जिंदा मान रही थी। साल 2015 में पुलिस ने इस डकैत के खिलाफ 50,000 रुपये का इनाम भी रख दिया था।