गुना से लोकसभा चुनाव हारने के बाद ग्वालियर की ओर रुख कर सकते हैं श्रीमंत, सक्रियता भी बढ़ाई

भोपाल। भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों विकास कार्यों के माध्यम से अपना ध्यान पूरी तरह से ग्वालियर में केंद्रित किए हुए हैं। यही नहीं शहर में जो भी विकास कार्य हो रहे हैं उनका पूरा श्रेय भी सिंधिया ले रहे हैं। इससे लगता है कि गुना से पिछला लोकसभा चुनाव हारने के बाद वे ग्वालियर की ओर रुख कर सकते हैं। इस बात के संकेत इससे भी लगाए जा सकते हैं कि सिंधिया और सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के बीच चली आ रही अंदरूनी दूरियों को दूर करने के लिए सिंधिया स्वयं सांसद शेजवलकर के घर पहुंचे। उन्होंने शेजवलकर के पूरे परिवार से मुलाकात की। शेजवलकर ने श्रीमंत का स्वागत किया। इस दौरान उनके पिता स्व. माधवराव सिंधिया को जनसंघ में शामिल कराने वाली रसीद भी सांसद विवेक शेजवलकर ने उन्हें सौंपी।
संघ के प्रांत कार्यवाह से मिलने पहुंचे सिंधिया
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर के निवास पर मिले। दोनों के बीच करीब 15 मिनट तक एकांत में चर्चा हुई। सिंधिया की इस मुलाकात को लेकर समर्थकों एवं भाजपा कार्यकतार्ओं के बीच राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। इंदापुरकर का कहना है कि यह सौजन्य भेंट थी।
विकास कार्यों के लेकर चला चिट्ठी बार
विकास कार्यों का श्रेय लेने की होड़ में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के बीच एक तरह से चिट्ठी बाहर शुरू हो चुका है। सांसद सिंधिया ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री को चिट्ठी लिखी, इस चिट्ठी में नए टर्मिनल के लिए मदद का अनुरोध किया गया। उसके बाद सांसद विवेक नारायण शेजवलकर की तरफ से भी एक चिट्ठी लिखी गई। चिट्ठी में टर्मिनल के लिए बिल्डिंग की आवश्यकता बताते हुए मदद मांगी गई। उसके बाद भितरवार से गिरते जल स्तर पर चिंता जताते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से चर्चा की। तो वहीं भितरवार बारानी घाटी का दौरा कर आंतरिक जल स्तर गिरने पर सांसद शेजवलकर ने चिट्ठी लिखी और चिंता जताई। चंबल से ग्वालियर तक पानी लाने के लिए केंद्र से 250 करोड़ की योजना मंजूर हुई और इसको लेकर सिंधिया ने इसे अपने प्रयास का नतीजा बताया तो दूसरी ओर सांसद शेजवलकर ने कहा कि वह बीते दस वर्षों से चंबल पेयजल योजना के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं। अब यह सपना साकार हो गया है।
शहर की स्वर्ण रेखा नदी के विकास और उस पर एलिवेटेड रोड की स्वीकृति के लिए इसका श्रेय खुद सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिया तो वहीं सांसद शेजवलकर ने कहा कि मैं इसके लिए लगातार प्रयास कर रहा था। डीआरडीओ के 200 मीटर के दायरे में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित कर मकानों को तोड़ने के आदेश दिए थे। इस मामले में राज्य सरकार ने रक्षा मंत्री से बात कर शहर से बाहर शिफ्ट करने की सहमति बनाई। सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने रक्षा मंत्री से मुलाकात कर इसका श्रेय लिया तो वहीं सिंधिया ने भी कहा कि उन्होंने इस संबंध में रक्षा मंत्री को पत्र लिखे हैं। ग्वालियर रेलवे स्टेशन के लिए हेरिटेज लुक देने के लिए हाल ही में 80 करोड़ रुपये की योजना मंजूर हुई है और इस योजना को ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पहल बताने में लगे हुए हैं तो वहीं सांसद शेजवलकर भी इसे अपने प्रयास और पत्राचार का नतीजा बता रहे हैं।
कार्यकर्ताओं में नहीं बन पा रही आपसी समझ की स्थिति
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के साथ ही भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर संभाग में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए पिछले कई महीनों से जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। सियासत की नई पारी में उनका पूरा फोकस ग्वालियर संसदीय क्षेत्र पर ही है। यही वजह है कि सांसद सिंधिया जो भी विकास कार्य शहर में हो रहे हैं उनका श्रेय लेने के साथ ही इस संसदीय सीट पर अपनी जगह बनाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में आए हुए ग्यारह महीने से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन आज भी ग्वालियर अंचल में सिंधिया और भाजपा के नेता कार्यकतार्ओं के बीच आपसी समझ की स्थिति नहीं बन पाई है। यहां तक कि जब भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर दौरे पर आते हैं तो वहां पर कोई भी भाजपा का कार्यकर्ता और नेता दिखाई नहीं देता है। यही नहीं अब तो हालात ये हैं कि सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई भी छिड़ गई है। जब भी इस क्षेत्र से ज्योतिरादित्य सिंधिया की दूरी होती है तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इसमें पीछे नहीं होते हैं।
परंपरागत सीट से हारे चुनाव
दरअसल गुना सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट रही है। सिंधिया परिवार ने गुना सीट से लगातार 14 बार प्रतिनिधित्व किया है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना सीट से अपने जीवन का पहला चुनाव लड़कर सियासत में कदम रखा है लेकिन पिछले 2018 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया परिवार को पहली बार यहां से करारी हार का सामना करना पड़ा। स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने एक छोटे से कार्यकर्ता से एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव हार गए। इसके बाद अपमान के भय से ज्योतिरादित्य सिंधिया नए क्षेत्र की तलाश में है और उनकी नजर अब ग्वालियर संसदीय क्षेत्र पर है।