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गहलोत सरकार ने फोन टेपिंग की बात को स्वीकार, पायलट की बगावत के समय भाजपा नेताओं के फोन टेपिंग के लगे थे आरोप

जयपुर। राजस्थान में पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय फोन टेप करने की बात सरकार ने मान ली है। सरकार ने विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा है कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं। नवंबर 2020 तक फोन टेप के सभी मामलों की मुख्य सचिव स्तर पर समीक्षा भी की जा चुकी है। भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के अगस्त में पूछे गए सवाल का गृह विभाग ने अब जवाब दिया है। सवाल का जवाब राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर तो डाल दिया लेकिन विधायक के पास लिखित रूप में नहीं पहुंचा है।

जवाब में विधायकों- मंत्रियों के फोन टेप करने जैसी कोई बात नहीं
हालांकि, सरकार ने अपने जवाब में विधायकों या केंद्रीय मंत्रियों के फोन टेप करने जैसी कोई बात नहीं कही है। लेकिन, भाजपा विधायक के सवाल पूछने के वक्त (अगस्त) को देखते हुए इस जवाब को बागी विधायकों और केंद्रीय मंत्रियों के फोन टेपिंग से जुड़ा माना जा रहा है। भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने कहा, विधायकों और नेताओं के फोन टेप करने को लेकर मैंने अगस्त में विधानसभा में सवाल लगाया था, मेरे पास अभी तक लिखित जवाब नहीं आया है। जब लिखित जवाब आएगा तभी कुछ बता सकता हूं।

जुलाई में वायरल हुए थे आडियो टेप
सचिन पायलट खेमे के 19 विधायकों ने जुलाई में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी और ये विधायक मानेसर के एक होटल में अलग से बाड़ेबंदी में चले गए थे। उसके बाद 15 जुलाई 2020 को गहलोत गुट की तरफ से कुछ आॅडियो टेप जारी किए गए थे। इन आॅडियो टेप में गहलोत खेमे की तरफ से दावा किया गया था कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की बातचीत है।

उस बातचीत में सरकार गिराने और पैसों के लेनदेन की बातें थीं। सीएम अशोक गहलोत ने कई बार कहा कि सरकार गिराने के षड्यंत्र करने में हुए करोड़ों के लनेदेन के सबूत हैं और ये आरोप झूठे हों तो राजनीति छोड़ दूंगा जिन नेताओं के आॅडियो टेप आए थे, उनके वॉयस टेस्ट नहीं हुए थे। विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले की जांच एसीबी और एटीएस कर रही है। चर्चा यह भी थी कि सरकार के इशारे पर जांच एजेंसियों ने इन आॅडियो टेप को वायरल किया है। हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई थी।

भाजपा विधायक कालीचरण का सवाल: क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हां तो किस कानून के अंतर्गत और किसके आदेश पर? पूरा ब्योरा सदन की मेज पर रखें।

गृह विभाग का जवाब: लोगों की सुरक्षा या कानून व्यवस्था को खतरा होने पर सक्षम अधिकारी की अनुमति लेकर फोन सर्विलांस पर टेप किए जाते हैं। भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5—2 और आईटी एक्ट की धारा-69 में दिए प्रावधानों के अनुसार फोन टेप किए जाते हैं। राजस्थान पुलिस ने इन प्रावधानों के तहत ही सक्षम अधिकारी से मंजूरी लेकर फोन टेप किए हैं। सर्विलांस पर लिए गए फोनों की मुख्य सचिव के स्तर पर बनी समिति समीक्षा करती है। अब तक नवंबर तक के फोन सर्विलांस और टेपिंग के मामलों की समीक्षा की जा चुकी है।

सियासी संकट के वक्त खुलकर फोन टेप की बात नहीं मानी थी, लेकिन अब मानी
पायलट गुट की बगावत के वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार यह कह रहे थे कि उनके पास सरकार गिराने में भाजपा नेताओं की भूमिका और करोड़ों के लेनदेन के सबूत हैं। टेप जारी हुए लेकिन गहलोत सरकार ने तब टेपिंग कराने की बात नहीं मानी। अब सवाल के जवाब में सरकार ने मान लिया है कि सक्षम अधिकारी की अनुमति से फोन टेप किए गए थे। तय प्रक्रिया के अनुसार गृह सचिव की अुनमति से ही फोन टेप किए जाते हैं। जिस वक्त की यह घटना है उस समय राजीव स्वरूप गृह विभाग के एसीएस थे, बाद में वे मुख्य सचिव बनाए गए थे।

सरकार के इस कबूलनामे पर सियासी बवाल की आशंका
गहलोत सरकार ने पहली बार फोन टेपिंग की बात सीधे न सही, लेकिन आधिकारिक रूप से सवाल के जवाब में मानी है। अब भाजपा इस पर सरकार को घेरेगी। विधानसभा में आज इस मुद्दे को उठाया जा सकता है। सरकार से फोन टेपिंग की पूरी प्रक्रिया और किन-किन नेताओं के फोन टेप हुए इसका ब्यौरा भी विपक्षी भाजपा विधायक मांग सकते हैं। इससे कांग्रेस भाजपा की अंदरूनी सियासत भी गर्माएगी।

सरकार के इस कबूलनामे के बाद गहलोत-पायलट खेमों में तल्खी बढ़ने के आसार
सचिन पायलट और गहलोत खमों के बीच कोल्ड वॉर अब भी जारी है। फोन टेपिंग से जुड़े कबूलनामे के बाद तल्खी बढ़ने के आसार हैं। पायलट खेमे के 3 विधायकों ने पहले से ही विधानसभा में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के विधायकों को बिना माइक वाली सीटें देने के मामले में मोर्चा खोल रखा है।

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