गणेश चतुर्थी आज: शाम से शुरु होगी गणेशोत्सव की धूम, सालों बाद बन रहा ऐसा दुर्लभ संयोज

भोपाल। प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान का जन्मोत्सव है। इसी के साथ ही गणेशोत्सव की धूम शुरू हो गई है। विशेष बात यह है कि इस बार की गणेश चतुर्थी बहुत विशेष है, क्योंकि इस बार कई साल बाद ऐसा दुर्लभ योग बन रहा है जिसमें तीन शुभ संयोग एक साथ बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार जो गणेश चतुर्थी आ रही है, वो बहुत ही दुर्लभ संयोग बना रही है। क्योंकि एक साथ तीन योग बन रहे हैं। जिसमें से एक है ब्रह्म योग, दूसरा है शुक्ल योग और तीसरा है शुभ योग।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ब्रह्म योग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों शक्तियां वहां पर एक साथ साक्षात मौजूद रहती हैं। जबकि शुक्ल योग में जितने भी जातक गणेश चतुर्थी में शामिल होते हैं, गणेश जी की आरती पूजन करते हैं, उनके घर में शुभ ही शुभ होता है। वहीं तीसरा है शुभ योग, शुभ योग यानी गणेश जी के भक्तों के घरों में भी शुभ लाभ की स्थापना हो जाती है, आमदनी में बरकत अधिक और हानि कम होती है, और घर में जो भी रहते हैं स्वस्थ रहते हैं।
शहर में सजेगे बप्पा के दरबार
गणेश चतुर्थी के साथ ही राजधानी भोपाल सहित प्रदेश भर में गणेशोत्सव की धूम शुरू हो जाएगी। राजधानी भोपाल में तो सैकड़ों जगह गणपति बप्पा के दरबार सजाए गए हैं। सजाने का काम अभी भी जारी है।
10 दिन मनेगा गणेश उत्सव
पहला दिन:गणेश जी का स्वागत, मूर्ति स्थापना
गणेश चतुर्थी की शुरूआत घरों या सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना और पूजा से होती है। विभिन्न आकारों की मिट्टी की मूर्तियों से बाजार सज जाता है। इस दिन गणेश जी की घरों में स्थापना की जाती है। कह सकते हैं, इस दिन गणेश जी का स्वागत किया जाता है उन्हें घर में स्थान दिया जाता है।
दूसरा दिन:महोत्सव का मुख्य दिन
दूसरे दिन को “चतुर्थी” के रूप में मनाया जाता है। गणेश उत्सव का ये एक महत्वपूर्ण दिन होता है।
तीसरा दिन:भगवान गणेश की विशेष प्रार्थना और आरती
तीसरे दिन, भक्तगण भगवान गणेश की विशेष प्रार्थना करते हैं और आरती के साथ कहीं कहीं अनुष्ठान भी करने की पंरपरा है।
चौथ दिन:आरती- पूजा और प्रसाद वितरण
चौथा दिन भगवान गणेश को विशेष प्रार्थना की जाती है। इसके साथ ही बप्पा की आरती, भजन का आयोजन किया जाता है।इसके बाद मिठाई और प्रसाद का वितरण किया जाता है।
पांचवा दिन: षोडशोपचार पूजा के साथ भगवान गणेश की पूजा
पांचवें दिन षोडशोपचार पूजा करते हैं और भगवान गणेश की विशेष प्रार्थना करते हैं। इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण माना गया है।
छटवां दिन:पूजा-आरती
छठे दिन को षष्ठी के रूप में जाना जाता है और इसे व्यक्तियों के घरों में विशेष प्रार्थना और आरती के साथ मनाया जाता है, इस दिन दान आदि का भी विशेष महत्व बताया गया है।
सातवां दिन:सप्तपदी अर्पित करना
सातवें दिन भगवान गणेश को भक्तगण सप्तपदी की क्रिया करते हैं। इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा करते हैं।
आठवां दिन:अष्टमी
आठवें दिन को अष्टमी के रूप में जाना जाता है और इस दिन विशेष प्रार्थना, आरती और भगवान गणेश को मिष्ठान में उनकी प्रिय मोदक और अन्य चीजों को प्रसाद चढ़ाया जाता है।
नौवां दिन- नौ पौधों की पूजा
नौवें दिन नवपत्रिका पूजा करते हैं।
दसवां दिन: गणेश विसर्जन
दसवें और अंतिम दिन भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस दिन बप्पा को विदाई दी जाती है। इस दिन आरती, भजन और गीत गाकर विदाई दी जाती है। इस दिन दान आदि जैसे पुण्य कार्य किए जाते हैं।