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अच्छी खबर: घोड़ों के एंटीबॉडी से वैक्सीन बना रही यह कंपनी, 90 घंटे के अंदर रिपोर्ट होगी निगेटिव

नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण (corona infection) को रोकने के लिए नई दवाओं पर तेजी से काम चल रहा है। इस बीच महाराष्ट्र के कोल्हापुर (Kolhapur in Maharashtra) में बायोसाइंसेस कंपनी (Biosciences Company) एक नई दवा बना रही है। यह दवा घोड़ों के एंटीबॉडी (Horse’s Antibodies) से बनाई जा रही है। बताया जा रहा है कि बायोसाइंसेस कंपनी की यह दवा सभी मानकों पर सफल रहती है तो कोरोना (Corona) के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी। यह इस तरह की भारत की पहली स्वदेशी दवा होगी, जिसका इस्तेमाल संक्रमण के इलाज के लिए किया जाएगा।

एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शुरूआती परीक्षणों में दवा की वजह से 72 से 90 घंटों के अंदर ही संक्रमितों की आरटी-पीसीआर (RT-PCR) रिपोर्ट निगेटिव हो जा रही है। दवा का फिलहाल ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण चल रहा है, जिसके इस महीने के अंत तक पूरा होने की संभावना है। खबर के मुताबिक बायोसाइंसेस कंपनी सांप के काटने, कुत्ते के काटने और डिप्थीरिया के इलाज में कारगर दवाएं बनाती हैं। लेकिन अब कंपनी कोविड (Covid) की दवा भी बनाने जा रही है।

कोविड की दवा बनाने में आईसेरा बायोलॉजिकल को पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (Serum Institute of India) ने भी मदद की है। दावा है कि कंपनी ने एंटीबॉडीज का एक ऐसा कॉकटेल तैयार किया है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण को फैलने से रोक सकता है और शरीर में मौजूदा वायरस को भी खत्म कर सकता है।

 

 

घोड़ों से तैयार की एंटीबॉडी
खास बात ये है कि एंटीबॉडी को तैयार करने में घोड़ों की मदद ली गई है। कंपनी के डायरेक्टर (न्यू प्रोडक्ट) नंदकुमार गौतम (nandkumar gautam) ने कहा, कोरोना वायरस से निकाले गए खास एंटीजन को घोड़ों में इंजेक्ट करके एंटीबॉडी डेवलप की गई है। सही एंटीजन को चुनने में एसआईआई ने मदद की। साथ ही उन केमिकल को भी चुनने में मदद की जो संक्रमित मरीज में Antibodies पैदा करते हैं। उन्होंने बताया कि एंटीबॉडी डेवलप करने के लिए घोड़ों को इसलिए चुना गया, क्योंकि बड़ा जानवर होने की वजह से उनमें ज्यादा एंटीबॉडी तैयार होती है।

कोरोना के हर वैरिएंट पर कारगर
कोरोना मरीजों में एंटीबॉडी इंजेक्ट करने की प्रक्रिया को पहले भी आजमाया जा चुका है। जिसमें प्लाज्मा थेरेपी भी शामिल है। प्लाज्मा थेरेपी को बहुत कारगर माना गया था, लेकिन इसके नतीजे काफी मिले-जुले थे। ब्लड प्लाज्मा के साथ दूसरे केमिकल भी निकलते हैं, जो मरीज पर अलग-अलग असर दिखाते हैं और ये असर नुकसानदायक भी हो सकता है।

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