Study में बड़ा दावा: वयस्कों की तुलना में किशोरों पर कोरोना असर कम, मृत्युदर भी बहुत कम
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों (doctors) द्वारा किए गए अध्ययन (Study) में किशोरों के लिए राहत देने वाली खबर सामने आई है। दिल्ली एम्स द्वारा दावा किया गया है कि कोरोना महामारी (corona pandemic) का असर वयस्कों की तुलना में बहुत कम है। जिसकी वजह से मृत्युदर (death rate) में कमी के साथ बच्चों में गंभीर लक्षण विकसित नहीं हो रहे हैं। यह अध्ययन कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर (first and second wave) में अस्पतालों भर्ती हुए 12-18 साल के 197 संक्रमित किशोरों पर किया गया है।
एम्स के डॉक्टरों द्वारा जिस अस्पताल में यह अध्ययन किया गया वहां कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किशोरों की मृत्यु दर 3.1 प्रतिशत रही। जबकि, वयस्कों की मृत्यु दर 19.1% रही, जो बच्चों की तुलना में छह गुना अधिक है। अध्ययन के मुताबिक, कोरोना से संक्रमित सिर्फ 7.3% बच्चों को oxygen की आवश्यकता महसूस हुई, जबकि 2.8% को आक्सीजन के उच्च प्रवाह की आवश्यकता पड़ी। 24.1% बच्चों को स्टेरॉयड (steroids) और 16.9% बच्चों को एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर (antiviral drug remdesivir) दी गई।
84% किशोरों पर मिले बहुत ही हल्क लक्षण
अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि अस्पताल में भर्ती 84.6% किशोरों को बहुत ही हल्के लक्षण प्रतीत हुए। वहीं 9.1% को मध्यम और 6.3% में गंभीर लक्षण विकसित हुए। इसमें बुखार और खांसी सबसे आम लक्षण थे, जिनमें से 14.9% को यह महसूस हुए। वहीं 11.5% बच्चों के शरीर में दर्द था, 10.4% बच्चों को कमजोरी महसूस हुई। सिर्फ 6.2% बच्चे ही ऐसे सामने आए, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई। जबकि, उसी अस्पताल में दूसरी लहर के दौरान 50.7 प्रतिशत वयस्कों को सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई।