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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री बोले: HIV को माना जाता था डेथ वारंट, इंदौर में नड्डा ने कहा– इसकी चर्चा से हमें नहीं भागना चाहिए

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इंदौर। विश्व एड्स दिवस के मौके पर इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयाजित ्रकिया गया। कार्यक्रम में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शमिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड ने भारत की स्वास्थ्य उपलब्धियों, एड्स रोकथाम के प्रयासों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए ऐतिहासिक सुधारों पर विस्तृत चर्चा की।

जेपी नड्डा ने कहा कि भारत देश में टिटनेस की दवा आने में 40 साल लगे। क्षय रोग की दवा आने में 25 साल लगे, लेकिन कोरोना के दो टीके 9 माह में आ गए। जिन्होंने कई लोगों की जिंदगी बचाई। हमने चालीस देशों को मुफ्त कोरोना की दवा दी।अब भारत लेने वाला नहीं देने वाला भारत बन चुका है। कोरोना के समय डेढ़ माह में देश तैयार हुआ। पीपीई किट,आईसीयू बेड, टेस्टिंग किट बनाई गई। कोरोना का मैनेजेमेंट देश में प्रभावी रहा।

एड्स के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विश्व एड्स दिवस एचआईवी और एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने और इसे खत्म करने के लिए समर्पण का दिन है। उन्होंने जोर देकर कहा, हमारे देश में एचआईवी के खिलाफ जागरूकता और इलाज के प्रयास व्यापक हैं। हम अपने कार्यक्रमों को ट्राइबल इलाकों और पारंपरिक प्रथाओं के अनुसार कस्टमाइज कर रहे हैं, ताकि हर व्यक्ति तक पहुंच बनाई जा सके। इस मौके पर मुख्यमंत्री मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा स्वास्थ्य विभाग मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल, कैबिनेट मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, और इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

नए उम्र के लोगों ने नहीं देखा काला दौर
नड्डा ने आगे कहा कि कहा कि नए उम्र के लोगों ने काला दौर नहीं देखा, जो 80 के दशक में रहा। एड्स की बीमारी को डेथ वारंट माना जाता था। पूरा परिवार तबाह हो जाता था। तब जागृति के लिए कोई अभियान भी नहीं चलते थे। अभी तक इस तरह की दवा नहीं आई कि मरीज उसे खाकर पूरी तरह ठीक हो जाए। मरीज को आजीवन दवा खाना पड़ेगी और जीवन भर वह ठीक रह सकता है। अब हमारा विज्ञान इतना विकसित हो चुका है कि इस बीमारी के साथ भी लोग लंबी जिंदगी जी रही है। सामान्य संतानों को जन्म दे रहे है। इसकी चर्चा से हमें भागना नहीं चाहिए। बच्चों को इस बीमारी के लिए एज्यूकेट करना चाहिए।

एड्स के साथ जो लोग जी रहे हैं, समझें उनकी स्थिति को
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एड्स के साथ जो लोग जी रहे है, उनकी स्थित को समझे और उनके प्रति संवेदनशील रहे और उनके अधिकारों का हनन न हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। एड्स की लंबी लड़ाई समाज ने और देश ने लड़ी है। पहले एड्स की दवा नहीं थी। जब दवा आई तो वह इतनी महंगी थी कि वह गरीब आदमी खरीद नहीं सकता था। वह दवाई भारत सरकार अब फ्री में दी जाती है। देश में 17 लाख लोग एड्स पीड़ित है। भारतीय कंपनियों ने सबसे सस्ती और असरकारक दवाएं बनाई। जो विश्व के लिए मददगार साबित हो रही है। अफ्रीका, साउथ अफ्रीका जैसे देशों को हम जोड़ पाए है।

मदद मिले तो मरीज बीमारी पर कर सकता है जीत हासिल: सीएम
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम डॉ. यादव ने कहा कि एड्स रोगी को अच्छा इलाज और समाज से मदद मिले तो रोगी इस बीमारी पर जीत हासिल कर जीवन यापन कर सकते है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद देश का स्वास्थ्य विभाग पर विश्वास और पक्का हुआ है। भारत ने तब दूसरे देशों की भी मदद की। उन्होंने कहा कि पहले मेडिकल कॉलेज खोलने में परेशानी आती थी, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने व्यवस्था में काफी बदलाव किए और नए मेडिकल कॉलेज खुलने का रास्ता साफ हुआ। प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी हुई है। प्रदेश में तीन मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे है। दो साल में इनकी संख्या पचास हो जाएगी।

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