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किसान आंदोलन के महीने: कोरोना कहर के बीच भी तेवर बरकरार, आज मना रहे काला दिवस

नई दिल्ली। देश में फैली भीषण महामारी (Severe Pandemic) और गर्मी के तीखे तेवरों के बाद भी कृषि कानूनों (Agricultural laws) का विरोध कर रहे किसान (Farmer) पीछे हटने के लिए तैयार नही हैं। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन (Peasant movement) के बुधवार को छह महीने पूरे हो गए हैं। इस दौरान किसान संगठन (Farmers Organization)और मोदी सरकार (Modi government) के बीच 11 बार वार्ता होने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसान संगठन आज काला दिवस (Black day) मना रहे हैं।

बता दें कि केंद्र सरका द्वारा लाए गए तीनों Agricultural laws के खिलाफ 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था। पंजाब और हरियाणा के बाद उत्तर प्रदेश के किसानों के सीमाओं पर पहुंचने के बाद आंदोलन ने शुरूआती दौर में रफ्तार पकड़ ली। मांगें पूरी होने तक घर न लौटने के फैसले पर अडिग किसानों को सीमाओं से बुराड़ी ग्राउंड (Burari Ground) पर प्रदर्शन के लिए जगह की सिफारिश की गई, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था।





आंदोलन को तितर-बितर करने की कोशिश
आंदोलनकारी किसानों (Agitating farmers) को तितर-बितर करने के लिए 27 नवंबर को सिंघु बॉर्डर (Singhu border) पर आंसू गैस के गोले छोड़ गए, लेकिन विरोध के स्वर और तेज होने लगे। 27 नवंबर को उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur border) पहुंचे, जिसकी अगुवाई भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) और नरेश टिकैत (Naresh Tikait) कर रहे थे। पश्चिम यूपी के किसानों ने यहां अपना डेरा जमा दिया, जहां तमाम किसान संगठन भी जुड़ गए।

आखिरकार एक दिसंबर को केंद्र सरकार (central government) ने किसानों को पहले दौर की बातचीत के लिए बुलाया, जो बेनतीजा रही। इससे पहले पंजाब में विरोध के दौरान ही 14 October, 2020 को किसानों और सरकार की पहली बार वार्ता हुई थी। तीसरी बैठक तीन दिसंबर को हुई, लेकिन बेनतीजा रही। इसके बाद पांच दिसंबर को किसानों के साथ केंद्र सरकार की चौथे दौर की बैठक हुई। आठ दिसंबर को पांचवीं वार्ता हुई, इसी दिन किसानों ने भारत बंद (India Close) का आह्वान किया था।

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