मध्यप्रदेश

किसानों को समृद्ध बनाने का प्रयास: मप्र सरकार गुणवत्तापूर्ण गेहूं की मांग को पूरा करने निर्यातकों को देगी सभी सुविधाएं

भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मंत्रालय में देर शाम गेहूं निर्यातकों और केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मध्यप्रदेश के गेहूं के अधिकाधिक निर्यात को लेकर बैठक की। इस दौरान बैठक में शिवराज ने कहा कि किसानों को लाभान्वित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। निर्यात संबंधी प्रक्रिया की अड़चनों को दूर किया जाएगा। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से पीएम मोदी के संकल्प को साकार करने का कार्य किया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में विश्व बाजार में गुणवत्ता पूर्ण गेहूं की मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार निर्यातकों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाएगी। मध्यप्रदेश का गेहूं एमपी व्हीट के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में उच्च निर्यात क्षमता के देशों जैसे इजिप्ट, टर्की, अल्जीरिया, नाइजीरिया, तंजानिया आदि के बाजारों तक भारतीय एम्बेसी के सहयोग से पहुंच बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न पोर्ट ट्रस्ट गेहूं के निर्यात के लिए तात्कालिक भण्डारण के प्रबंध और गेहूं के जहाजों को प्राथमिकता के लिए सहमत है। निर्यातक को निर्यात की मात्रा पर भुगतान की जाने वाली मंडी फीस की प्रतिपूर्ति का कार्य मध्यप्रदेश सरकार करेगी।

चर्चा के दौरान सीएम ने कहा कि गेहूं का निर्यात कृषक, निर्यातकों और राष्ट्र हित में है। भारत से गेहूं और अन्य उत्पादों का निर्यात सभी के लिए लाभदायक है। रेल मंत्रालय आवश्यक रैक उपलब्ध करवाएगा। इस विषय पर पीएम भी भारत से गेहूं निर्यात बढ़ाने की मंशा से अवगत करवा चुके हैं। इसको लेकर केंद्रीय वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में निर्यातकों से बातचीत हो चुकी है।

मध्यप्रदेश का गोल्डन व्हीट दुनिया के हर कोने में पहुंचे
CM ने कहा कि मध्यप्रदेश के शरबती गेहूं और अन्य किस्मों की अलग पहचान है। इस वर्ष भी गेहूं का बम्पर स्टाक उत्पादन हो रहा है। मध्यप्रदेश प्रतिवर्ष 360 मीट्रिक टन गेहूँ उत्पादन के साथ देश का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। गत 6 माह में गेहूँ की विशेष किस्मों लोकवन,शरबती, मालवा शक्ति, सुजाता, की खरीदी किसानों से मंडियों में की गई। प्रदेश की जलवायु और यहाँ की मिट्टी के कारण इसे सोने के दानों जैसा गेहूँ कहा जाता है। शरबती गेहूं एवं डयूरम (कठिया) गेहूँ की काफी ज्यादा मांग है।

प्रदेश की प्रमुख मंडियों में निर्यातकों को रियायती दर पर एक्सपोर्ट आधारित अधो-संरचना बनाने के लिए अस्थायी तौर पर भूमि और अन्य सुविधाएँ देने का आकलन किया जा रहा है। इसकी गुणवत्ता और पहचान को विश्व के बाजार में स्थापित करने का यह दुर्लभ अवसर भी है। यह गोल्डन व्हीट दुनिया के हर कोने में पहुँचे और इसका नाम ही इसकी पहचान बने, इसके लिए प्रयास तेज किए गए हैं। नई दिल्ली में निर्यातकों के साथ बैठक के बाद इसी उद्देश्य से आज भोपाल में यह बैठक बुलाई गई। आज प्राप्त सुझाव अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सहयोगी होंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम निर्यात किए जाने वाले गेहूँ की गुणवत्ता का भी ध्यान रखेंगे।

निर्यातकों को मिलेंगी सुविधाएं
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार निर्यातकों को आवश्यक सुविधा उपलब्ध करवाएगी। राज्य सरकार की मंशा है कि मुख्य निर्यातक मध्यप्रदेश से जुड़ जाएं। भारत सरकार के सभी संबंधित मंत्रालय, रेलवे,पोर्ट ट्रस्ट, भारतीय दूतावास, गेहूँ के रिकार्ड निर्यात के लिए प्रयासरत हैं। गेहूँ निर्यात प्रोत्साहन के लिए मध्यप्रदेश के गेहूँ के निर्यात पर निर्यातकों को मंडी शुल्क की वास्तविक प्रतिपूर्ति के अलावा प्रदेश में क्लीनिंग,ग्रेडिंग, सॉर्टिंग कर निर्धारित वैरायटी का गेहूं ग्रेड ए और बी के मानक अनुसार किसानों से खरीद कर निर्यात करने पर ग्रेडिंग और सॉर्टिंग में लगने वाले खर्च की निर्यातक को प्रतिपूर्ति, भंडारित अतिरिक्त गेहूं के स्टाक का प्राथमिकता से निर्यात, प्रदेश के शासकीय गोदामों को उपलब्ध करवाने पर आज की बैठक में चर्चा हुई है। इसके साथ ही प्रदेश के गेहूं के निर्यात के लिए नवीन अंतर्राष्ट्रीय बाजार विकसित करने के लिए विदेश मंत्रालय, एपीडा (कृषि और प्र-संस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और मध्यप्रदेश शासन द्वारा विभिन्न देशों से समन्वय कर दीर्घकालिक व्यापार अनुबंध की कार्यवाही पर हुई चर्चा सार्थक होगी।

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