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जानिए रावत की नराजगी पर क्या बोले कैप्टन और तिवारी

चंडीगढ़। कांग्रेस नेता हरीश रावत (Congress leader Harish Rawat) के उत्तराखंड चुनाव (Uttarakhand elections) में संगठन से सहयोग न मिलने वाले बयान को लेकर एक बार फिर से बयानबाजी शुरू हो गई है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh, Former Chief Minister of Punjab) ने ट्वीट (Tweet) कर बड़ा हमला बोला है। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कैप्टन ने लिखा है- जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे। आपके प्रयासों के लिए हमारी शुभकामनाएं। वहीं जी-23 नेताओं (G-23 Leaders) में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता (senior congress leader) मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने तंज कसा है। इशारों ही इशारों में उन्होंने कहा कि वह लुडिया डुबोकर ही मानेंगे।

दरअसल, मनीष तिवारी ने तंज भरे अंदाज में ट्वीट किया कि पहले असम (Asam) , फिर पंजाब (Punjab) और अब उत्तराखंड (Uttarakhan), भोग पूरा ही पाउण गे, कसर न रह जावे कोई। बता दें कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब में सीएम की कुर्सी से हटाने का जिम्मेदार काफी हद तक हरीश रावत को भी माना जाता है। वे नवजोत सिद्धू (Navjot Sidhu) को संगठन में महत्वपूर्ण ओहदा देने के सबसे पहले हिमायती थे।

जी-23 नेताओ में शामिल मनीष तिवारी इससे पहले भी हाईकमान को कई बार खरी खरी सुना चुके हैं। वे कैप्टन की कांग्रेस से विदाई और नवजोत सिद्धू के पंजाब कांग्रेस का प्रधान पद संभालने के बाद से कई बार आलाकमान को तल्खी दिखा चुके हैं। वहीं हरीश रावत के ट्वीट से यह अटकलें भी तेज हो गईं कि क्या वह भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह ही कांग्रेस से अलग होने की राह पर चल पड़े हैं। हालांकि, बुधवार को ही जब हरीश रावत से उनके ट्वीट को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने मीडिया से कहा कि जब समय आएगा, वह बताएंगे। फिलहाल के लिए मजा लीजिए।





ट्वीट में क्या लिखा रावत ने
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत के एक ट्वीट ने उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया था। रावत ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है!’

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